वायरल हुआ दफ़्तर का डांस वीडियो

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
मुंबई:- अजीत पवार की पार्टी एनसीपी का चुनाव चिन्ह घड़ी है। इस चुनाव चिन्ह में घड़ी का समय 10 बजकर 10 मिनट दिखाया गया है। लेकिन अब इस वीडियो को गौर से देखिए—पार्टी की महिला कार्यकर्ता नागपुर के एनसीपी दफ़्तर में महाराष्ट्र की मशहूर लावणी पर थिरकते हुए कह रही हैं, “मुझे जाने दीजिए ना, घर बज चुके हैं 12।”
वाकई, अजीत पवार का समय ऐसे कार्यकर्ताओं के कारण ख़राब ही चल रहा है।अजीत पवार की राष्ट्रवादी पार्टी के नागपुर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने दिवाली स्नेहमिलन कार्यक्रम का आयोजन किया था। यह कार्यक्रम रविवार को गणेशपेठ स्थित राष्ट्रवादी पार्टी के कार्यालय में आयोजित किया गया। इस दिवाली स्नेहमिलन कार्यक्रम में शिल्पा शाहीर ने नृत्य प्रस्तुत किया। शिल्पा शाहीर एक प्रसिद्ध नृत्यांगना होने के साथ-साथ पार्टी की पदाधिकारी भी हैं।
अजीत पवार ने महाराष्ट्र में महायुति सरकार में दूसरी बार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ 5 दिसंबर 2024 को ली थी। अभी सरकार को एक साल भी नहीं हुआ है, लेकिन आए दिन अजीत पवार खुद या फिर उनके पार्टी के कार्यकर्ता व विधायक ऐसी गलतियाँ कर देते हैं जो सुर्खियाँ बन जाती हैं। मगर इससे न तो खुद अजीत पवार और न ही उनके लोग कोई सीख लेते नज़र आ रहे हैं।
राष्ट्रवादी पार्टी में विवादों का सिलसिला
- बीड के बीजेपी कार्यकर्ता संतोष देशमुख की हत्या में शामिल आरोपियों से नज़दीकी के कारण मंत्री धनंजय मुंडे को अपने मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
- महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एनसीपी कोटे से कृषि मंत्री बने माणिकराव कोकाटे विधान भवन के अंदर फ़ोन पर ऑनलाइन रमी खेलते हुए पकड़े गए, जिसके बाद उन्हें दूसरे मंत्रालय में भेजना पड़ा।
- दो मंत्रियों के बाद खुद अजीत पवार का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे महिला आईपीएस को फ़ोन पर धमकाते नज़र आए। अजीत पवार के कार्यकर्ता सोलापुर के माढ़ा में अवैध गिट्टी ले जा रहे थे, तभी महिला आईपीएस ने उन्हें रोका था।
फिलहाल इस मुद्दे पर विपक्ष की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। अजीत पवार की एनसीपी के किसी भी नेता या मंत्री ने इस पर अपना पक्ष नहीं रखा है, लेकिन पार्टी दफ़्तर में दिवाली स्नेहमिलन कार्यक्रम में हुए लावणी डांस का वीडियो जबरदस्त वायरल हुआ है।

महाराष्ट्र का लावणी नृत्य पर क्यों और क्या था विवाद
एनसीपी नेता अजीत पवार का क्या था फरमान ?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने अपनी पार्टी के सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे महाराष्ट्र में लोकप्रिय लोक गीत और नृत्य की प्रस्तुति लावणी के नाम पर भद्दे सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित न करें।
गौरतलब है कि एनसीपी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की बैठक के दौरान जानी-मानी लावणी नृत्यांगना मेघा घाडगे ने लावणी डांस को लेकर शिकायत की थी. उनकी इस शिकायत को गंभीरता से लिया गया है. घाडगे ने बताया कि अजित पवार किसी एक डांसर को टारगेट नहीं कर रहे हैं, लेकिन लड़कियों को घाघरा चोली पहना कर और डीजे बजाकर जनता के सामने नचाना “लावणी संस्कृति ” पर सवालिया निशान पैदा करता है।घाडगे ने बताया कि उन्होंने पवार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि एनसीपी कार्यकर्ता केवल भीड़ को अपनी तरफ खींचने के लिए इस तरह के अश्लील नृत्यों को ना कराए।
लावणी की पहचान क्या है?
लावणी शब्द ‘लावण्या’ या सुंदरता से आया है। ये एक मराठी शब्द है. लावणी एक पारंपरिक लोक कला है। इस लोक नृत्य में औरतें चमकीले रंगों में नौ गज लंबी साड़ी, मेकअप और घुंघरू पहनकर ढोलक की थाप पर डांस करती हैं।सदियों से लावणी की पहचान पूरी तरह से स्वदेशी कला के रूप में रहा है. 18वीं शताब्दी के पेशवा युग में इसे खास लोकप्रियता मिली। तब के जमाने में इस डांस को राजाओं के लिए पेश किया जाता था,युद्धों में ब्रेक के दौरान थके हुए सैनिकों की थकान उतारने और उनके मनोरंजन के लिए भी उस जमाने में लावणी डांस करती थी। तब लावणी डांस बहुत ही सहज तरीके से पेश किया जाता था। धीरे-धीरे लावणी नृतकाओं ने इसे सहजता और सरलता से पेश करने के बजाए अश्लीलता को जगह देना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे कला के रूप में इसकी पहचान खत्म होती चली गई।लावणी को कुछ महान और प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं में इस्तेमाल करना शुरू किया इस तरह लावणी को लोकगीतों के मंच से निकलकर एक अलग पहचान मिलनी शुरू हुई। 80 और 90 के दशक में, राजनीति और धार्मिक व्यंग्य में लावणी गीतों के बोल इस्तेमाल होने की वजह से लावणी की पहचान और बढ़ी। इसी दौर में लावणी का इस्तेमाल भीड़ का मनोरंजन करने के लिए भी शुरू हुआ।
कामुक शैली भी है लावणी का हिस्सा
लावणी की कई शैलियां हैं, जिनमें से सबसे मशहूर है श्रृंगारिक यानी कामुक शैली। कामुक शैली में गाए जाने वाले गीतों के बोल अक्सर सामने वाले को चिढ़ाने जैसा होता है. इसके बोल में कामुक शब्दों का इस्तेमाल भी होता है और डांस के दौरान कामुक इशारे भी किए जाते हैं।पिछले कुछ सालों में, लावणी लोगों के बीच ज्यादा मशहूर हुआ. लावणी के दर्शक ऐतिहासिक रूप से सभी पुरुष रहे हैं, लेकिन हाल के सालों में कुछ चुनिंदा महिलाएं भी इस डांस को देखने के लिए आती हैं।सिनेमा जैसे लोकप्रिय मीडिया में भी लावणी के इस्तेमाल किया जाने लगा. सिनेमा में बढ़ते लावणी के प्रचलन से पूरे देश में इस लोक गीत को पहचान मिलनी शुरू हुई। पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर इस नृत्य के कई छोटे क्लिप को मिलियन लाइक मिले।
आलोचना का आधार क्या है?
लावणी में कामुक फैक्टर पर लंबे समय से नाराजगी जताई गई है। 1948 में, बॉम्बे के तत्कालीन मुख्यमंत्री बालासाहेब खेर को लावणी डांस पर कथित अश्लीलता को लेकर बहुत सारी शिकायतें मिली थी। इसके बाद इस डांस पर रोक लगा दिया गया था, वहीं सांस्कृतिक इतिहासकार इस डांस को कला के रूप में मानने से साफ मना करते आए हैंं।
ग्रामीण महाराष्ट्र में खूब है लावणी का क्रेज
ग्रामीण महाराष्ट्र में आज भी लोग इस डांस को खूब पंसद करते हैं और फंक्शन में लावणी डांसर्स को बुलाया जाता है। वहीं राजनेता और राजनीतिक दल भी अक्सर लावणी डांसर्स को अपनी सभाओं में बुलाते रहते हैं। इस वजह से ज्यादातर युवा और पुरुष भीड़ में शामिल हो जाते हैं। ये डांसर्स हिंदी और मराठी दोनों फिल्मी गीतों पर लावणी डांस करती हैं। डांस के दौरान महिलाएं अक्सर एक अजीब से कपड़े पहनती हैं, और भीड़ उनके इशारों पर जोर-जोर से चिल्लाती है।
कला के दिग्गज लावणी के इस चलन का शुरू से विरोध करते आए हैं। घाडगे जैसे वरिष्ठ डांसर्स का मानना है कि नए जमाने की लड़कियों का लावणी डांस इस डांस प्रथा को अश्लील और नीच बना रहा है।घाडगे ने कहा कि ” मुझे लगता है कि इस तरह के अश्लील डांस और अश्लील कार्यक्रमों पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि लावणी के लिए नियम बनाने की जरूरत है , या कोई ऐसी संस्था बने जो इस तरह के मुद्दों को देखे, और दिशानिर्देश जारी करे।
अजित पवार ने कहा था, “लावणी और महाराष्ट्रीयन परंपरा की दूसरी कलाएं खूबसूरत हैं, लेकिन उन्हें इस तरह से किया जाना चाहिए कि हर कोई उनका आनंद ले सके। किसी भी तरह की अश्लीलता नहीं होनी चाहिए। कुछ जिलों में अश्लील नृत्यों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन कई जिलों रोक लगाने का काम अब भी जारी है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं इस मुद्दे को राज्य विधानसभा के आगामी बजट सत्र में उठा सकता हूं।
लावणी डांस के लिए मशहूर हैं ये नाम
मराठी शाहीर कवि और गायक जैसे पराशरम, राम जोशी, अनंत फैंडी, होनाजी बाला, प्रभाकर, सगनभाऊ, लोक शाहीर, अन्नाभाऊ साठे ने कई लावणी गीत लिखे
लोकशाहिर बशीर मोमिन कावठेकर एक समकालीन कवि हैं। सुरेखा पुनेकर, संध्या माने, रोशन सतरकर जैसे कवियों ने 1980 के दशक में मंच पर अपनी लावणी रचनाओं को पेश किया।
सत्यभामाबाई पंढरपुरकर और यमुनाबाई वायकर भी लावणी गीत के लिए खूब मशहूर हुए।