
अदालती फटकार के बाद क्यों मची है बंगाल में रार !
लोकसभा चुनावों के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में 14 सालों में जारी हुए ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने पर जहां राजनीति गरमा गई है तो वहीं दूसरी तरफ कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से सियासी नफा-नुकसान का आकलन शुरू हो गया। राज्य की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस को कलकत्ता हाईकोर्ट से नुकसान हो सकता है। राज्य में अभी भी छठवें और सातवें चरण में 17 सीटों पर वोटिंग होनी हैं। इनमें 12 सीटें टीएमसी और पांच सीटें बीजेपी के पास हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी के वोट बैंक में एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम आबादी का है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का असर लोकसभा चुनावों के लिए बची सीटों की वोटिंग में दिख सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद करीब पांच लाख ओबीसी सर्टिफिकेट प्रमाण रद्द हो गए हैं। हाईकोर्ट ने नए सर्टिफिकेट जारी करने पर भी तुंरत प्रभाव से रोक लगा दी है, हालांकि कोर्ट के फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमल करने से मना कर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पश्चिम बंगाल सरकार इस हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
फैसले का क्या होगा असर?
आदेश का तत्काल प्रभाव पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को तामलुक, कांथी, घाटल, पुरुलिया, बांकुरा, बिष्णुपुर, झारग्राम और मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्रों में महसूस किया जा सकता है। इसके साथ ही इस फैसले ने बीजेपी को विपक्ष पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है। एनडीए पहले ही विपक्ष पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाता रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसके हाथ बैठे बिठाए एक हथियार मिल गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य में कुछ वर्गों का ओबीसी दर्जा खत्म करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने संकेत दिया कि सरकार इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया। तृणमूल प्रमुख ने भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर ओबीसी आरक्षण को रोकने की साजिश करने का आरोप लगाया। ममत ने कहा कि संदेशखाली में अपनी साजिश विफल हो जाने के बाद बीजेपी अब नई साजिशें रच रही है।
पीएम मोदी ने साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा कि कोर्ट का फैसला विपक्ष के लिए ‘एक करारा तमाचा’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन का ‘तुष्टीकरण का जुनून’ हर सीमा को पार कर गया है। पीएम मोदी ने कहा कि जब भी वह ‘मुस्लिम’ शब्द बोलते हैं, तब उन पर सांप्रदायिक बयान देने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि वह तो बस ‘तथ्यों को सामने लाकर’ विपक्ष को बेनकाब कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह फैसला इसलिए सुनाया क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने महज वोट बैंक की खातिर मुसलमानों को अवांछित ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए।
पश्चिम बंगाल में OBC आरक्षण का क्या है इतिहास?
एबीपी मी छपे रिपोर्ट के मुताबिक साल 2010 में पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार सत्ता में थी. उस दौरान वाम मोर्चा ने 53 जातियों को ओबीसी की कैटागिरी में डाल दिया था. उस दौरान वाम मोर्चा सरकार ने ओबीसी के आरक्षण को 7 से 17 प्रतिशत करना चाहा था. जबकि, वाम सरकार साल 2011 में सत्ता से बाहर हो गई तो ये कानून नहीं बन पाया था. इसके बाद बंगाल में 2012 ममता दीदी की सरकार आई. जो ओबीसी वर्ग को आरक्षण देता है. ममता सरकार ने इस आरक्षण में 35 नई जातियों को जोड़ा गया. जिसमें 33 मुस्लिम समुदाय से ओबीसी आरक्षण 7 फीसदी से बढ़ाकर 17% कर दिया. हालांकि, इस कानून के बनने से प्रदेश की 92% मुस्लिम आबादी को आरक्षण का लाभ मिला.