
महिलाओं को वाहन चलाते देखना पहले हैरत होती थी, लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई है। बदलते परिवेश में महिलाएं तेजी से आत्मनिर्भर हो रही हैं। समाज में आई जागरुकता और महिला वर्ग के नौकरी पेशे से जुड़ने के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। यही कारण है कि अब रोजमर्रा के कामों में अपना हाथ बंटाने वाली महिलाएं अब कोई भी वाहन आसानी से चला रही हैं। अब तो वे बाकायदा वाहनों का अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन करा ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा रही हैं।
सिलीगुड़ी में अब सिर्फ पुरुष ही नहीं बाल्की महिला भी ई रिक्शा चला रही है और घर का खर्च भी उठा रही है। धीरे-धीरे ये सांख्य बढ़ रही है। हमने ऐसी महिलाओं से बात भी की। उनमें से एक है उपमा घोष जो मेडिकल की रहने वाली है, वो बताती है कि पहले उनके पति ई रिक्शा चलते थे पर वो गंभीर बीमारी के कारण अब बिस्तर पर है ऐसे में अचानक से 2 बेटियों की पढ़ाई और बाकी का खर्चा उठाने के लिए मैंने ई रिक्शाचलाना शुरू किया और अब देखते-देखते 6 साल हो गए हैं। मुझे घर का काम भी करना होता है और बच्चों को स्कूल भी छोड़ना होता है लेकिन मुझे अब कोई दिक्कत नहीं होती। ऐसी और भी महिलाएं हैं जिनके घर का बिदा ऐसा ही उठाया है जो निश्चित तौर पर समाज में एक नया संदेश देता है
सड़कों में पुरुषों को महिलाएं ओवर टेक करते हुए आगे बढ़ जा रही हैं। परिवहन विभाग से मिले आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं अब स्टीयरिंग थामने में पुरुषों से पीछे नहीं है। पिछले एक साल में सैकड़ों महिलाओं ने दोपहिया और चारपहिया वाहन का लाइसेंस बनवाया है। इसके अलावा हर महीने लाइसेंस बन रहे हैं। इनमें सिर्फ दोपहिया ही नहीं बल्कि चार पहिया वाहन भी शामिल है। कामकाजी महिलाओं के साथ ही युवतियां भी गाड़ी चलाकर अपने काम खुद निपटा रही हैं। महिलाओं को सड़क पर चार पहिया वाहन ड्राइविंग करते आसानी से देखा जा सकता है। इस दौर में महिलाएं पूरी तरह से आत्म निर्भर होना चाहती है। परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हर महीने महिलाएं ड्राइविंग लाइसंेस बनवा रही हैं।