
बजट दरअसल सरकार के एक साल का हिसाब- किताब है. बजट से पहले सरकार अपनी कमाई का पता लगाती है और फिर कहां कितना खर्च करना है इसके बारे में बजट में बताती है.
अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो बजट एक साल के दौरान होने वाले कमाई और खर्चों का हिसाब किताब है. चूंकि बजट बनाना एक लंबी प्रक्रिया है, इसलिए बजट का अंतिम मसौदा तैयार करने के लिए महीनों की योजना, परामर्श और संकलन की आवश्यकता होती है। इसलिए यह प्रक्रिया संसद में वित्तीय विवरण प्रस्तुत किए जाने से लगभग छह महीने पहले शुरू होती है,
वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव की हर दिन बैठक होती है और अलग-अलग विभागों के बीच फंड देने को लेकर चर्चा होती है.
इस दौरान बजट बनाने वाली टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग के इनपुट लगातार मिलते रहते हैं. फिर वित्त मंत्री राजस्व विभाग, उद्योग संघों, वाणिज्य मंडलों, किसान संघों, ट्रेड यूनियनों, इकोनॉमिस्ट जैसे अलग-अलग सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करती हैं. बजट से जुड़ी सारी चीजें फाइनल होने के बाद एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है. बजट को लेकर सब कुछ तय होने के बाद बजट दस्तावेज प्रिंट होता है.