
न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
नयी दिल्ली:केंद्र और विपक्षी राज्यों के बीच टकराव अब सिर्फ नीतियों तक सीमित नहीं रहा। अब ये जंग जनता के बीच जाकर लड़ने की तैयारी है। केंद्र सरकार अब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में बड़े प्रचार अभियान की शुरुआत करने जा रही है। मकसद है अपनी योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी सीधे जनता तक पहुंचाना।
केंद्र सरकार विपक्षी शासित राज्यों में 16 प्रमुख योजनाओं के प्रचार को लेकर अभियान शुरू करने जा रही है। संबंधित मंत्रालयों से योजनाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट मांगी गई है। इन राज्यों में विशेष जोर किसानों, महिलाओं, युवाओं और गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर होगा। जैसे कि उज्ज्वला, मुद्रा लोन, आयुष्मान भारत और स्टार्टअप इंडिया। बीजेपी का मानना है – केंद्र लाए आरोप मढ़ने वाले राज्यों की पोल खोलना जरूरी है क्यूंकि इससे उन राज्यों के आम लोगों को मिलने वाला लाभ नहीं मिल पा रहा है । हमारी सरकार देश के हर नागरिक तक लाभ पहुंचाना चाहती है, लेकिन कुछ राज्य सरकारें सिर्फ राजनीति कर रही हैं, जिससे गरीब जनता वंचित रह रही है।
केंद्र सरकार को इन राज्यों से फीडबैक मिला है कि योजनाओं की जानकारी आम जनता तक नहीं पहुंच रही है। कई योजनाएं लागू ही नहीं की गईं, जैसे पश्चिम बंगाल में आयुष्मान भारत और पीएम विश्वकर्मा योजना। तमिलनाडु में समग्र शिक्षा अभियान और पीएम श्री स्कूल जैसी योजनाओं को लेकर राज्य सरकारों ने आपत्ति जताई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र की यह रणनीति राजनीतिक रूप से भी अहम है। खासकर उन राज्यों में जहां आने वाले महीनों में चुनाव होने हैं। प्रचार अभियान न केवल योजनाओं की जानकारी देगा, बल्कि यह बताने की भी कोशिश करेगा कि राज्य सरकारों ने कैसे लोगों को फायदा मिलने से रोका। यह एक तरह की राजनीतिक नैरेटिव बिल्डिंग है। केंद्र सरकार अपनी योजनाओं को लेकर सीधे जनता से संवाद करना चाहती है, खासकर उन जगहों पर जहां उसका विरोध सबसे ज्यादा है।”
अभियान का मकसद साफ है, जनता को बताना कि केंद्र सरकार ने उनके लिए क्या किया और राज्य सरकारें कैसे अड़चन बनीं। आने वाले महीनों में इन राज्यों की सड़कों, गलियों और गांवों में केंद्र की योजनाओं का जोरशोर से प्रचार किया जाएगा। जिससे ‘सत्ता की सियासत’ सीधे ‘जनता की अदालत’ में पहुंचे।