आज वहीं 16 दिसंबर है जब 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। हमारे गोरखा सैनिकों ने इस जीत में एक अनमोल योगदान था।
आज हम उसी दिन को विजय दिवस के रुप में मना रहे हैं।

गोरखाओं की बहादुरी, धैर्य और अद्वितीय साहस ने उन्हें युद्ध के महान नायकों में शामिल किया। उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ीं और विजय प्राप्त की। 5/11 गोरखा राइफल्स ने बोगरा की लड़ाई में अपने अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया, और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेफ्टिनेंट तेजा बेदी और उनके सैनिकों ने अकेले ही बलूच रेजिमेंट के मुख्यालय पर कब्जा किया।

4/5 गोरखा राइफल्स ने केवल खुकुरी और साहस के साथ अपनी लड़ाई लड़ी। उनकी वीरता ने पाकिस्तानी सैनिकों को सिलहट में आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया। राइफलमैन दिल बहादुर छेत्री, जिनकी खुकुरी ने आठ पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। इसी वीरता की मिसाल देते हुए सरकार ने उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

सिलहट गोरखाओं ने भारतीय सेना के पहले हेलीबोर्न ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिससे ढाका में समय से पहले आत्मसमर्पण संभव हुआ।
हमारे वीर सैनिकों की वीरता, उनके बलिदान को हम कभी नहीं भूल सकते। वे हमारे लिए प्रेरणा हैं। विजय दिवस के इस दिन, हम गोरखा महापुरुषों की महान विरासत को सलाम करते हैं।
जिसे जब दुनिया भूल जाए, हम याद करेंगे!”
जय हिंद!
