जयप्रकाश का डॉक्टर बनने का एक सपना अधूरा रह गया

जयप्रकाश का शव जब आज गांव पहुंचा तो सबकी आंखें नम हो गई

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
बाड़मेर:एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे ने देश को हिला कर रख दिया। इस हादसे ने बाड़मेर के एक होनहार बेटे का जीवन लील लिया। 20 साल का जयप्रकाश, जो डॉक्टर बनने का सपना लेकर अहमदाबाद गया था। अब हमेशा के लिए खामोश हो गया।
आज उनका शव जब पैतृक गांव लाया गया, तो पूरे गांव में मातम पसर गया। कलेक्टर टीना डाबी से लेकर गांव का हर शख्स अंतिम विदाई में शामिल हुआ। हर आंख नम थी, हर दिल भारी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जयप्रकाश के पिता से फोन पर बात कर संवेदना प्रकट की। लेकिन इस हादसे ने न सिर्फ एक परिवार का चिराग बुझा दिया, बल्कि एक गांव की उम्मीद भी छीन ली।

12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई फ्लाइट A171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद एक इमारत से जा टकराई। बदकिस्मती से यह वही इमारत थी, जहां बीजे मेडिकल कॉलेज का हॉस्टल था — और वहीं मौजूद थे जयप्रकाश। हादसे के वक्त वे हॉस्टल के मेस में खाना खा रहे थे। विमान का मलबा सीधे हॉस्टल पर गिरा और जयप्रकाश की मौके पर ही मौत हो गई।

जयप्रकाश, बाड़मेर की धोरीमना तहसील के गांव बोर चारणान के रहने वाले थे। उन्होंने नीट में 675 अंक लाकर मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था। एमबीबीएस सेकंड ईयर के छात्र थे और अपने गांव लौटकर ग्रामीणों की सेवा का सपना देखा करते थे। महज़ एक महीने पहले गांव आए थे, जहां उन्होंने अपने पिता और गांववालों से कहा था — “डॉक्टर बनकर गांव की सेवा करूंगा।”

जयप्रकाश के पिता धर्माराम बालोतरा की एक हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में मैनेजर हैं। उन्होंने कर्ज लेकर बेटे को कोटा भेजा था ताकि वो NEET की तैयारी कर सके। और बेटे ने मेहनत से सपना पूरा भी किया — लेकिन किसे पता था कि ये सपना इस तरह अधूरा रह जाएगा।

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