ममता ने बाढ़ के लिए केंद्र को ठहराया दोषी,
बांधों की पानी रोकने की क्षमता बढ़ाई होती, तो नहीं होती तबाही

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता:दार्जिलिंग में विनाशकारी बारिश और भूस्खलन से कम से कम 28 लोगों की मौत हो चुकी है। मिरिक और दार्जिलिंग पहाडिय़ों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था। भूस्खलन ने घरों को बहा दिया, सडक़ संपर्क काट दिया, गांवों को अलग-थलग कर दिया और सैकड़ों पर्यटकों फंसे हुए हैं। अब उत्तर बंगाल के दोआर्स क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल में भारी बारिश की चपेट में आकर मरने वालों के स्वजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है। मृतकों के परिवार के एक सदस्य को स्पेशल होम गार्ड की नौकरी भी दी जाएगी। हालात का जायजा लेने सोमवार को उत्तर बंगाल रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में ममता ने बंगाल में बाढ़ के लिए फिर केंद्र को दोषी ठहराते हुए कहा कि अगर कोलकाता, हल्दिया व फरक्का बंदरगाहों की ठीक तरह से ड्रेजिंग कराई गई होती और दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के मैथन व पंचेत बांधों की पानी को रोकने की क्षमता बढ़ाई गई होती तो ऐसी विकट स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
डीवीसी अपने बांधों से बेतहाशा पानी छोड़ रहा है। इसके बजाय वह नदियों में जमा गाद साफ करके उनकी गहराई क्यों नहीं बढ़ा रहा? अगर मैथन व पंचेत बांध पानी नहीं रोक सकते तो उनकी जरूरत क्या है? मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने बंगाल को बाढ़, सडक़, आवास इत्यादि के लिए फंड देना बंद कर दिया है। इस रकम का इस्तेमाल वह वोट में धांधली व चुनाव आयोग को राजनीतिक उद्देश्य से प्रभावित करने में कर रहा है।
ममता ने कहा कि बंगाल सरकार ने भूटान को अपनी नदियों से धीमी गति से पानी छोडऩे को कहा है। वहां से छोड़े गए पानी से नागराकाटा, जलपाईगुड़ी, धूपगुड़ी, अलीपुरद्वार समेत उत्तर बंगाल के विभिन्न स्थानों को क्षति पहुंची है। ममता ने दावा किया कि सभी पर्यटकों का उद्धार कर लिया गया है। सिर्फ डायमंड हार्बर का एक व्यक्ति बेहद दूरवर्ती स्थान पर होने के कारण लापता है।