स्कूल पर एनसीपीसीआर गाइडलाइन के उल्लंघन का भी आरोप
शिक्षा विभाग भी सवालों के घेरे में

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
जयपुर (राजस्थान ):जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में नौ साल की मासूम अमायरा की दर्दनाक मौत ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया है।प्रतिष्ठित निजी स्कूल में हुई इस दर्दनाक घटना ने शिक्षा व्यवस्था, निजी स्कूलों की जवाबदेही और विभागीय निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. रविवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर स्वयं अमायरा के घर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। साथ ही भरोसा दिलाया कि सरकार ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
शिक्षा मंत्री ने साफ कहा — “यह सिर्फ एक हादसा नहीं, एक चेतावनी है। अगर किसी की लापरवाही से यह मासूम जान गई है, तो सख्त कार्रवाई तय है।” सरकार ने अब इस मामले की दो नहीं बल्कि पांच सदस्यीय जांच कमेटी बना दी है। दिलावर ने बताया कि उन्होंने सीबीएसई से भी अलग जांच की मांग की है।
दोनों टीमें स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था, स्टाफ की भूमिका और घटना के बाद सबूत मिटाने के आरोपों की जांच करेंगी। पूरे मामले में शिक्षा विभाग जांच कर रहा है। सीबीएसई की टीम भी स्कूल की जांच के लिए आ रही है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई तय की जाएगी. हालांकि, मृतक बच्ची के परिजनों ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
दरअसल, हादसे वाले दिन जब दो सरकारी अधिकारी स्कूल जांच के लिए पहुंचे थे, तो स्कूल प्रशासन ने उन्हें डेढ़ घंटे तक अंदर नहीं जाने दिया। जब अनुमति मिली, तब तक स्कूल के अंदर खून के धब्बे तक मिटा दिए गए थे। अब सवाल उठ रहा है — आखिर इतनी जल्दी सफाई किस बात की थी। अमायरा अब नहीं रही, लेकिन उसकी मौत ने स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सरकार की जांच कब तक चलेगी, यह तो वक्त बताएगा ।

स्कूल की मान्यता तुरंत रद्द करने की मांग
अमायरा की मौत के बाद संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संघ के के मुताबिक यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की विफलता और निजी स्कूलों की मनमानी का परिणाम है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल प्रशासन ने पुलिस को समय पर सूचना नहीं दी, घटनास्थल को धुलवाकर साक्ष्य नष्ट किए और जांच में सहयोग नहीं किया। यह आपराधिक श्रेणी का कृत्य है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्कूल का संचालन एक विधायक के पुत्र द्वारा किया जा रहा है और स्कूल का पंजीकरण विधायक की पुत्री के नाम पर है। ऐसे में राजनीतिक प्रभाव जांच को प्रभावित न करे, यह सुनिश्चित किया जाए।
एनसीपीसीआर गाइडलाइन का उल्लंघन
संयुक्त अभिभावक संघ के मुताबिक राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्कूल की इमारत तीन मंजिल से अधिक नहीं हो सकती, लेकिन ये स्कूल पांच से अधिक मंजिलों पर संचालित है. यह सीधे तौर पर गाइडलाइन का उल्लंघन है और बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
अभिभावक संघ ने उठाए ये सवाल
क्या स्कूल को मान्यता देने से पहले सुरक्षा प्रमाणपत्र (सेफ्टी सर्टिफिकेट) की जांच की गई थी?
क्या भवन का नक्शा जेडीए, नगर निगम या नगर नियोजन विभाग से स्वीकृत था?
क्या विभाग को जानकारी थी कि इतने ऊंचे भवन में स्कूल संचालन प्रतिबंधित है?
शिक्षा विभाग भी जवाबदेह:
अभिभावक संघ के मुताबिक शिक्षा विभाग का काम केवल अनुमति देना नहीं, बल्कि नियमित निगरानी करना भी है। राज्य का शिक्षा विभाग वर्षों से एनसीपीसीआर मानकों की अनदेखी कर रहा है। क्या इन निजी स्कूलों को विभागीय संरक्षण प्राप्त है? क्यों अब तक किसी भी स्कूल की भवन सुरक्षा, सीसीटीवी, मनोवैज्ञानिक सहायता और तनाव प्रबंधन की जांच नहीं की गई? उन्होंने कहा कि यह मामला केवल मृतक छात्रा अमायरा तक सीमित नहीं है। हर वर्ष जयपुर सहित पूरे राज्य में छात्रों की आत्महत्याओं के दर्जनों मामले सामने आते हैं, लेकिन अब तक किसी को न्याय नहीं मिला।