अभिषेक बनर्जी का भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला
टीएमसी नेता ने चुनाव आयोग की मंशा पर भी खड़े किए सवाल

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता :पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर को लेकर सियासत गरमा गई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और सांसद अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को भाजपा और चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को चुनिंदा तौर पर शामिल और बाहर करने की साजिश है। बनर्जी ने एसआईआर को ‘साइलेंट इनविजिबल रिगिंग’ यानी ‘शांत और अदृश्य धांधली’ बताया। SIR नागरिकों के मताधिकार को छीनने और उन्हें उनकी मौलिक लोकतांत्रिक स्वतंत्रता से वंचित करने का एक प्रयास मात्र है।पहले लोग अपने वोटों के ज़रिए अपनी सरकार चुनते थे, लेकिन अब सरकार अपने मतदाताओं को चुनती है। भाजपा का लक्ष्य मतदाता सूची को “शुद्ध” करना नहीं है।
टीएमसी नेता ने चुनाव आयोग की मंशा पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जब लोकसभा चुनाव को केवल 18 महीने ही हुए हैं, तो अब अचानक मतदाता सूची में गड़बड़ी की बात क्यों की जा रही है। अभिषेक ने तंज कसते हुए कहा कि अगर मतदाता सूची में वाकई इतनी विसंगतियां हैं, तो लोकसभा भंग की जाए और दोबारा चुनाव कराया जाए। उन्होंने आयोग से पूछा कि जब 2002 में एसआईआर की प्रक्रिया दो साल चली थी, तो अब इतनी बड़ी कवायद दो महीने में कैसे पूरी होगी।
भाजपा की ओर से एसआईआर की जरूरत बताने के लिए बांग्लादेश और रोहिंग्या घुसपैठ का हवाला दिया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बनर्जी ने कहा कि अगर यही कारण है, तो फिर पूर्वोत्तर के पांच राज्यों में एसआईआर क्यों नहीं किया जा रहा, जिनकी सीमाएं बांग्लादेश और म्यांमार से लगती हैं? उन्होंने कहा कि केवल बंगाल को निशाना बनाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है। बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग राज्य प्रशासन पर नियंत्रण हासिल करना चाहता है ताकि 2026 के चुनावों से पहले राज्य सरकार काम न कर सके।अभिषेक बनर्जी ने उत्तर 24 परगना के पनिहाटी इलाके में मंगलवार को हुई एक व्यक्ति की आत्महत्या को भी SIR और NRC के डर से जोड़ा। उन्होंने कहा कि प्रदीप कर नामक व्यक्ति ने घबराहट में आत्महत्या कर ली। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि एनआरसी और एसआईआर की वजह से उसे डर था। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जिम्मेदार हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। टीएमसी नेता ने चेतावनी दी कि यदि किसी वैध मतदाता का नाम सूची से हटाया गया, तो बंगाल के एक लाख लोग दिल्ली में चुनाव आयोग के दफ्तर के बाहर धरना देंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद टीएमसी कमजोर नहीं पड़ेगी भाजपा जितनी चाल चले, हम उतनी ही सीटें बढ़ाएंगे।