बंगाल चुनाव से पहले संघ-बीजेपी की बड़ी बैठक

घुसपैठ और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बनी रणनीति

मनु कृष्णा
कोलकाता :पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर आरएसएस और बीजेपी नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक कोलकाता स्थित संघ मुख्यालय में हुई। यह बैठक गुप्त रूप से आयोजित की गई थी। बैठक में आरएसएस की ओर से सह सरकार्यवाह अरुण कुमार, क्षेत्रीय प्रचारक और प्रांत प्रचारक शामिल हुए। वहीं बीजेपी की ओर से बंगाल चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, सह प्रभारी विप्लव देव, प्रदेश प्रभारी सुनील बंसल और सह प्रभारी अमित मालवीय मौजूद रहे। राज्य की ओर से संगठन मंत्री अमिताभ चक्रवर्ती और नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भाग लिया। प्रदेश अध्यक्ष स्वास्थ्य कारणों से बैठक में शामिल नहीं हो सके। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की गई। बंगाल के संगठन मंत्री ने इस दौरान रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया गया कि इस बार पार्टी की संगठनात्मक संरचना बूथ स्तर तक पहले से कहीं अधिक मजबूत है। 2021 के चुनाव में नेताओं में जोश तो अधिक था, लेकिन ग्राउंड पर तैयारी कमजोर रही थी — इस बार उस कमी को दूर कर लिया गया है।

चर्चा के दौरान यह तय किया गया कि अब फोकस स्थानीय कार्यकर्ताओं और समर्थकों में उत्साह भरने पर होगा।रणनीति के अनुसार, पार्टी राज्य सरकार की नीतिगत विफलताओं और भ्रष्टाचार पर आक्रामक अभियान चलाएगी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत हमलों से परहेज़ रखा जाएगा।

बैठक में रणनीति के प्रमुख बिंदु

  1. बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया जाएगा
    बीजेपी और आरएसएस की संयुक्त रणनीति के तहत, बंगाल चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमावर्ती इलाकों की जनसांख्यिकीय असंतुलन को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा।बांग्लादेशी घुसपैठ को राज्य की स्थिरता, रोजगार और कानून-व्यवस्था से जोड़कर जनता के बीच उठाया जाएगा। पार्टी का मानना है कि घुसपैठ के कारण राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना प्रभावित हुई है और इसे व्यापक जनविचार का हिस्सा बनाना जरूरी है।
  2. स्थानीय प्रशासन की भूमिका और राज्य सरकार के संरक्षण पर ‘पोलखोल अभियान’
    बैठक में यह भी तय किया गया कि सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को रोकने में स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत और राज्य सरकार के संरक्षण को उजागर करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत आंकड़ों, स्थानीय घटनाओं और जमीनी रिपोर्ट्स को सामने लाया जाएगा, ताकि जनता को यह समझाया जा सके कि ममता सरकार इस घुसपैठ को रोकने में नाकाम नहीं बल्कि ‘निष्क्रिय और संरक्षक’ की भूमिका में है।
  3. बदलती जनसांख्यिकी पर व्यापक जनजागरण अभियान
    आरएसएस और बीजेपी के संगठनात्मक तंत्र को यह जिम्मेदारी दी गई है कि राज्य के अलग-अलग जिलों में बदलती जनसंख्या संरचना (Demographic Shift) पर जनजागरण अभियान चलाया जाए। इसका उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि किस तरह कुछ क्षेत्रों में वोटबैंक राजनीति के कारण आबादी का संतुलन तेजी से बदल रहा है, जिससे सांस्कृतिक और सामाजिक असंतुलन की स्थिति बन रही है।
  4. आर्थिक बदहाली, उद्योगों की गिरावट और युवाओं के पलायन को मुद्दा बनाना
    रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल की अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है। निवेश ठप है, नए उद्योग नहीं लग रहे, और बड़ी संख्या में युवा रोजगार की तलाश में राज्य छोड़ रहे हैं।बीजेपी इसे अपने अभियान का केंद्रीय मुद्दा बनाएगी — यह दिखाने के लिए कि “परिवर्तन” का वादा करने वाली सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर राज्य को पीछे धकेल दिया है।
    5.भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्रियों को घेरे में लेने की तैयारी
    बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकार के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को जनता के बीच प्रमुखता से उठाया जाएगा। इसमें शिक्षक भर्ती घोटाला, कोयला और बालू खनन से जुड़ी अनियमितताएँ, और सरकारी योजनाओं में धन के दुरुपयोग जैसे मामलों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
  5. महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ती रेप घटनाओं पर ‘सड़क-स्तरीय आंदोलन’
    राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर पार्टी ‘स्ट्रीट फाइट’ मोड में जाने की तैयारी कर रही है।महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, जनजागरण अभियान और स्थानीय स्तर पर रैलियाँ आयोजित करने की योजना पर चर्चा हुई।उद्देश्य यह दिखाना है कि ‘महिला सुरक्षा’ के मोर्चे पर ममता सरकार पूरी तरह विफल रही है और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

बैठक में ये तय हुआ कि बीजेपी और आरएसएस दोनों संगठन अब बंगाल में मजबूत बूथ प्रबंधन और जनसंपर्क अभियान पर फोकस करेंगे, ताकि इस बार राज्य में चुनावी जमीनी मजबूती निर्णायक साबित हो सके।

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