बहू सबकुछ लेकर चली गई , शहीद के माता-पिता का छलका दर्द !

कौन कहता है जिस्म से रुह नहीं जुदा होती है,
जो रूह के बिना भी ज़िंदा हो,
वो हर शहीद की माँ होती है.

भारतीय सेना के शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता और उनकी विधवा पत्नी स्मृति सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं। अब शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू यानी स्मृति सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि 5 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। यह सम्मान उनकी पत्नी स्मृति सिंह और उनकी मां मंजू देवी ने ग्रहण किया। सास और बहू की यह एक साथ भावुक तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई। जिन तस्वीरों को देख लोग भी भावुक हो गए थे। लेकिन तस्वीरों में साथ दिखने वाले ये इन लोगों के रिश्ते में दरार आ गई है।

शहीद के  माता-पिता ने मीडिया से बात करते हुए अपनी बहू स्मृति पर गंभीर आरोप लगाए हैं. माता-पिता ने अपने बयान में कहा कि उनका बेटा शहीद हुआ लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला. सम्मान और अनुग्रह राशि दोनों बहू लेकर चली गई. उनका बेटा भी चला गया और बहू भी चली गई. 

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा, ”मैं माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अवगत करा चुका हूं, ये NOK का जो निर्धारित मापदंड है, वो ठीक नहीं है…क्योंकि ये पांच महीने की जो शादी थी, कोई बच्चा नहीं है। मां-बाप के पास कुछ नहीं है। मेरे पास मेरे बेटे की तस्वीर के सिवा कुछ नहीं है।”

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता ने आगे कहा, ”मेरी बहू (अंशुमान सिंह की विधवा पत्नी) अपना एड्रेस भी चेंज करवा चुकी हैं। तो हमारे पास क्या है? तो ये मुद्दा सामने जरूर आया था कि इसमें चीजों में बदलाव आने की जरूरत है। जैसे 1999 की लड़ाई के बाद बदलाव हुआ था, इसमें भी बदलाव होना चाहिए। इसलिए इसमें NOK की परिभाषा सही से होनी चाहिए। इस बारे में सटीक जानकारी होनी चाहिए कि, परिवार और पत्नी के पास क्या-क्या रहेगा। इसमें हर एंगल को देखा जाना चाहिए…वरना मेरे जैसे लोग भोगते रहेंगे।”

सेना में NOK का फुलफॉर्म होता है Next TO Kin यानी निकटतम परिजन। किसी भी नौकरी या सेवा में यह सबसे पहले दर्ज किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो आप से इसे नॉमिनी भी कह सकते हैं। इसे कानूनी उत्तराधिकारी भी कहा जाता है। यानी जो शख्स सेवा में है , अगर उसे कुछ होता है कि तो उसको मिलने वाली अनुग्रह राशि या सभी देय राशि NOK को दी जाती है।

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता के इन आरोपों पर अभी तक पत्नी स्मृति की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. एबीपी न्यूज ने जब उनसे बातचीत करने की कोशिश पर उन्होंने फोन नहीं उठाया. बताया जा रहा है कि वो वह अपने पिता के घर गुरदासपुर जा चुकी हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *