बिहार का रण -दूसरा चरण

सीमांचल में ‘बुर्का पॉलिटिक्स’ का चढ़ा सियासी पारा

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे।यहाँ के राजनीतिक रण में एक नए सियासी मुद्दे को हवा दे दी है। दरअसल, दूसरे चरण में सबसे ज्यादा सीटें सीमांचल के इलाके पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज के साथ-साथ कई मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर है। इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में है। इन सीटों पर मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए बुर्के की जांच को लेकर एक बार फिर सियासी बवाल मच गया है। इसी बवाल के बीच अब यहाँ एक नया सियासी मुद्दा ‘बुर्का पॉलिटिक्स’ को लेकर चर्चा आम हो गयी है। बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं ने वोटरों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए बुर्का की भी जांच करने की मांग की है।
गौरतलब है कि बिहार भाजपा नेताओं ने पहले चरण के मतदान से पहले ही चुनाव आयोग से औपचारिक मांग की थी कि बुर्का पहनकर वोट डालने आने वाली महिलाओं के चेहरे की पहचान उनके मतदाता पहचान पत्र (EPIC) से कड़ाई से मिलान की जाए। बीजेपी नेताओं ने खुले तौर पर कहा कि पर्दानशीं महिलाओं की आड़ में फर्जी मतदान की संभावना बनी रहती है। उनका दावा है कि यह कदम केवल सही मतदाता को उनका अधिकार देने और लोकतंत्र की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी बुर्का जांच की भी मांग की थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बिहार प्रचार के दौरान इस मुद्दे को उठाया और कहा था कि फर्जी मतदान को रोकने के लिए बुर्का तो हटाना पड़ेगा, क्योंकि लोकतंत्र में पहचान सबसे जरूरी है। उन्होंने विपक्ष पर फर्जी वोट डलवाने की साजिश करने का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने इस मामले पर स्पष्ट किया है कि बुर्का या पर्दे में आने वाली महिलाओं की पहचान के लिए 1994 से ही नियम लागू हैं और उसका कड़ाई से पालन किया जाएगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त बोल चुके हैं कि मतदान केंद्रों पर पहचान सत्यापन के लिए पर्दानशीं महिलाओं के लिए ‘लेडी वोटिंग असिस्टेंट’ यानी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की तैनाती की जाएगी। ये महिला कर्मचारी पूरी गोपनीयता के साथ महिला मतदाताओं के चेहरे का मिलान उनके पहचान पत्र से करेंगी। बुर्के की जांच पर आयोग के फैसले के खिलाफ विपक्ष ने जोरदार विरोध जताया। आरजेडी नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक साजिश’ और सांप्रदायिक एजेंडा बताया। उन्होंने कहा कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत होंगी और यह महिला वोटरों का अपमान है।
सीमांचल की राजनीति के विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले 72 घंटों में बुर्का वाला मुद्दा सीमांचल की राजनीति को गर्म कर सकता है। राज्य के डिप्टी सीएम का दूसरे फेज का चुनाव प्रचार खत्म होने के साथ यह बयान कि ‘बिहार में कानून का राज है। अगर कोई कानून अपने हाथ में लेता है तो उसके साथ साथ सख्ती से निपटा जाएगा’ बता रहा है कि यह मामला गर्म हो सकता है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि पहचान सत्यापन के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो और विपक्षी दलों को इस आधार पर राजनीति करने का मौका न मिले।

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