SIR को लेकर संसद में मचा घमासान

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
नयी दिल्ली:संसद के मानसून सत्र का 11 वा दिन भी हंगामे की भी चढ़ गया । संसद में विपक्ष का फोकस इस बार बिल से अधिक व्यवस्था पर सवाल उठाने का है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि 2025 से पहले ही बिहार में लोकतंत्र को किनारे लगाने की रणनीति तैयार हो चुकी है।SIR को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीधे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए हैं। वहीं बीजेपी कह रही है कि हार की आहट सुनकर विपक्ष अब पहले से ही सिस्टम पर ठीकरा फोड़ने में जुट गया है। संसद से निकली ये सियासी बहस क्या बिहार की जनता तक पहुँचेगी?
संसद में जोरदार हंगामा:विपक्ष के नेता पोस्टर लहराते हैं, बचाओ लोकतंत्र, बचाओ बिहार के नारे लगते हैं फिर हंगामे से नाराज लोकसभा स्पीकर सदन की कार्यवाही स्थगित कर देते हैं , विपक्ष लगातार कह रहा है, कि SIR के ज़रिए बिहार में चुनावी परिणाम प्रभावित करने की साज़िश की जा रही है। राहुल गांधी ने हाल में ही चुनाव आयोग के ख़िलाफ़ सबूत होने का भी दावा किया है । ये दावा सिर्फ चुनाव आयोग ही नहीं, पूरी संस्थागत संरचना पर सवाल है।विपक्ष इसे लोकतंत्र बनाम सिस्टम की जंग बता रहा है।लेकिन सवाल है कि क्या संसद में उठी ये बहस जनता तक भी पहुँचेगी?
दूसरी ओर, सत्ता पक्ष इस पूरे विवाद को विपक्ष की रणनीतिक हार बता रहा है।बीजेपी का आरोप है कि विपक्ष अभी से हार का बहाना ढूंढ रहा है।बीजेपी सांसदों और नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप बेबुनियाद हैं। बीजेपी कह रही है कि अगर सबूत हैं, तो उन्हें सामने क्यों नहीं लाया जा रहा? हर बार चुनाव हारने से पहले कांग्रेस लोकतंत्र को खतरे में बता देती है। SIR हो या कुछ और — ये सिर्फ एक चुनावी नैरेटिव गढ़ने की कोशिश है। अगर सबूत हैं, तो देश के सामने लाएं।
संसद से सड़क : संसद के भीतर बहस तेज है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर अभी सन्नाटा है। क्या आम मतदाता चुनाव आयोग पर लगाए गए इन आरोपों को गंभीरता से ले रहा है? या फिर यह बहस सिर्फ दिल्ली के गलियारों तक सीमित रह जाएगी? बिहार में जातीय समीकरण, रोजगार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे हमेशा चुनावी निर्णायक रहे हैं।लेकिन इस बार शुरुआत लोकतंत्र के ‘विश्वास’ से हो रही है। SIR रिपोर्ट, चुनाव आयोग, संस्थागत निष्पक्षता और विपक्ष का हंगामा — ये सब क्या आने वाले चुनाव को एक विचारधारात्मक लड़ाई बना देंगे? क्या बिहार का विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता की नहीं, सिस्टम की साख की भी परीक्षा बनेगा?