बिहार मे आधार-वोटर ID पर सियासत तेज

विपक्ष का चुनाव आयोग पर उठाए सवाल
मतदाता सूची गहन समीक्षा के दौरान 88.18 फीसदी गणना फॉर्म जमा
अभी 11 दिन बाकी
न्यूज़ बॉक्स संवाददाता

पटना :बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. विपक्ष ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए इसे ‘गोदी आयोग’ बताया है और आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं को सूची से हटाने के लिए की जा रही है. विपक्ष का कहना है कि इस कवायद से भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा.चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के काम में लगे बीएलओ ने घर-घर जाकर दो दौर में इन गणना फार्म को एकत्र किया है। अब तक 1.59 फीसदी मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 फीसदी स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। 0.73 फीसदी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए ।

88.18 फीसदी गणना फॉर्म जमा—-आयोग के मुताबिक, अभी तक 88.18 फीसदी मतदाता अपना गणना फॉर्म जमा कर चुके हैं। अब महज 11.82 फीसदी मतदाता ही अपने गणना फॉर्म जमा करने के लिए शेष हैं और इनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेज के साथ अपने ईएफ जमा करने के लिए समय मांगा है

अब तक 1.59 फीसदी मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 फीसदी स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। 0.73 फीसदी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए*—चुनाव आयोग ने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के काम में लगे बीएलओ ने घर-घर जाकर दो दौर में इन गणना फार्म को एकत्र किया है। अब तक 1.59 फीसदी मतदाता मृत पाए गए हैं, जबकि 2.2 फीसदी स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं। 0.73 फीसदी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए ।

बिहार में चल रहे एसआईआर (SIR) में भरे हुए गणना प्रपत्र (EF) जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष हैं। बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर दो दौर की जाँच के बाद, बिहार के 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 या 83.66% के गणना प्रपत्र (EF) जमा किए जा चुके हैं। अब तक 1.59% मतदाता मृत पाए गए हैं, 2.2% स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं और 0.73% मतदाता एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं। इसलिए, 88.18% मतदाता या तो अपना गणना प्रपत्र (EF) जमा कर चुके हैं या उनकी मृत्यु हो गई है या उनका नाम एक ही स्थान पर बना हुआ है या वे अपने पिछले निवास स्थान से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। अब केवल 11.82% मतदाता ही अपने भरे हुए गणना प्रपत्र जमा करने के लिए शेष हैं और उनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेजों के साथ अपने गणना प्रपत्र जमा करने के लिए समय माँगा है: चुनाव आयोग

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के हिसाब से बिहार में लगभग 35 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते है

चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार के कुल करीब 7.90 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 6 करोड़ 60 लाख मतदाता गणना फॉर्म जमा हो चुके आज शाम 6 बजे तक।बूथ लेवल ऑफिसर द्वारा कुल 83.66 फीसदी फॉर्म जमा हो चुके है।इसके अलावा 1.59 फीसदी लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ( लगभग 12 लाख 56 हजार 100) . 2.2 फीसदी स्थायी पलायन कर चुके।( लगभग 17 लाख 38000)
0.73 फीसदी लोगों के दो जगह नाम पाए गए( 5 लाख 76 हजार 700) . यानि अब तक के आंकड़े के हिसाब से लगभग 35 लाख नाम कट सकते है। बिहार मतदाता सर्वेक्षण में

बिहार में मृतकों के आधार नंबर निष्क्रिय करने की प्रक्रिया तेज़, अब तक 65 लाख से अधिक आधार रद्द-राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज.. विपक्ष का आरोप SIR की तरह आधार रद्द की प्रकिया संदेह के घेरे में..मतदाताओं को प्रभावित करने का हथकंडा
बिहार में चल रहे विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान (SIR) के समानांतर, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने राज्य में मृत व्यक्तियों के आधार नंबरों को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अब तक 65 लाख 85 हजार 890 आधार नंबर रद्द किए जा चुके हैं। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और प्राधिकरण का कहना है कि भविष्य में यह क्रम लगातार चलता रहेगा।

बिहार में वर्तमान में कुल 12 करोड़ 9 लाख 36 हजार 645 आधार कार्डधारक दर्ज हैं। UIDAI के अनुसार इनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके आधार अब तक सक्रिय हैं। यह स्थिति पहचान संबंधी धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े और सरकारी योजनाओं में अनधिकृत लाभ की आशंका को जन्म देती है।

UIDAI ने यह कार्रवाई मृत्यु प्रमाण पत्र, नगर निगम या पंचायत से प्राप्त सूचना और परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर की है। अब तक आधार निष्क्रिय किए जाने के बाद राज्य में सक्रिय आधार संख्या घटकर 11 करोड़ 43 लाख 50 हजार 755 रह गई है।

इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी तेज हो गई है विपक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह SIR अभियान विवादों में है, उसी तरह आधार रद्द करने की यह प्रक्रिया भी संदेह के घेरे में है। उनका आरोप है कि यह मतदाताओं को प्रभावित करने का एक राजनीतिक हथकंडा हो सकता है।

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