
आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है। इस दिन पूरी दुनिया ने भारत की एटमी ताकत का लोहा माना था .
आज ही के दिन 11 मई 1998 को कलाम के धमाल से पूरा विश्व गूंज उठा था, जिसे आज पूरा हिन्दुस्तान सलाम करता है. ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय के मुख्य परियोजना समन्वयक व डीआरडीओ के निदेशक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम थे. उनके साथ वैज्ञानिक डॉ. के. संथनाम व डॉ.आर.चिदम्बरम की टीम थी, जिसने पूरे विश्व को चौंकाया था. पोकरण व खेतोलाई को ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय व शक्ति-98 के रूप में नई पहचान मिली
अमेरिका के अत्याधुनिक सैटेलाइट से बचाकर लंबी तैयारी के बाद 11 और 13 मई 1998 को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए सिलसिलेवार पांच परमाणु धमाकों से पोकरण के खेतोलाई की धरती जरूर हिल गई थी लेकिन उसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी थी. 26 वर्ष पूर्व ऑपरेशन शक्ति पोकरण द्वितीय के नाम से भारत ने पूरी दुनिया को आंख दिखाकर अपनी धाक जमाई थी. पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन डीआरडीओ निदेशक डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था – ‘आई लव खेतोलाई.’
वर्तमान की बात करें तो अब से एक साल बाद, हम हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी की 80वीं वर्षगांठ में प्रवेश करेंगे. परमाणु हथियार आज वैश्विक स्तक चर्चा में हैं. युद्ध और असुरक्षा हावी हो गई है और महा शक्तियां एक बार फिर अपने शस्त्रागारों को तेज कर रही हैं
भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया. पाकिस्तान को 1983 के बाद यूरोप से न्यूक्लियर एनरिचमेंट और न्यूक्लियर मटेरियल प्रोसेसिंग के लिए डिजाइन मिलना शुरू हुआ. पाकिस्तान को चीन से बम डिजाइन मिला और उन्हें कोरिया से मिसाइल डिजाइन और ब्लूप्रिंट मिले. 1983 में, भारत ने परमाणु हथियारीकरण शुरू करने के लिए इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) शुरू किया. फिर 1998 में पोखरण-1 और 2 सहित कई परमाणु परीक्षण किए.
1974 का टेस्ट एक शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट था. इसने दुनिया को बताया कि भारत हमारे यूरेनियम को हथियार-ग्रेड स्थिति तक समृद्ध कर सकता है, जो कि 90 प्रतिशत से अधिक प्रोमोशन है. हमारे पास परमाणु बम बनाने की क्षमता थी. 1998 में लगभग पांच परीक्षण किए गए और इसने हमको हथियारीकरण में निखार दिया. अब हमारे पास विभिन्न प्रकार के हथियारों के साथ परमाणु हथियार बनाने की क्षमता है.