आवेदन जमा की अंतिम तिथि 21 जुलाई तक बढ़ाई गयी

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता:पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों के हजारों शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियोंने सोमवार को राज्य सचिवालय तक मार्च किया। बता दें कि ये वो लोग है जिनकी नौकरियां 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद समाप्त कर दी गई थीं । हालांकि उन्हें बीच में ही रोक दिया गया, लेकिन 20 प्रदर्शनकारियों के एक समूह को शिबपुर में हावड़ा पुलिस लाइन में मुख्य सचिव मनोज पंत से मिलने की अनुमति दी गई।
सोमवार का मार्च पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की प्रतिक्रिया में आया। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि सोमवार को समाप्त होनी थी लेकिन डब्ल्यूबीएसएससी ने इसे बढ़ाकर 21 जुलाई कर दिया।
सचिवालय के बाहर और आसपास के इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवानों की एक टुकड़ी तैनात की गई थी। बैरिकेड पार करने की कोशिश के दौरान कई स्थानों पर उनकी पुलिस से झड़प हुई।
‘जोग्ग्या सिखक सिख अधिकार मंच’ (योग्य शिक्षक अधिकार मंच) के प्रतिनिधियों के अनुसार, उन्होंने नई भर्ती के लिए फॉर्म नहीं भरा। जेएसएसएएम के प्रतिनिधि चिन्मय मंडल ने मार्च के दौरान कहा, “सरकार उन लोगों के साथ खड़ी है, जिन्होंने पैसे के जरिए बेईमानी से नौकरियां हासिल कीं और जो लोग योग्यता के जरिए इसके हकदार थे, उन्हें वंचित और नजरअंदाज किया जा रहा है। यह प्रशासन के लिए शर्म की बात है।”
प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सरकार 2016 की परीक्षा की ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन) शीट, “बेदाग” उम्मीदवारों की पूरी सूची और उनकी नौकरियों की बिना शर्त बहाली के साथ प्रकाशित करे।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुख्य सचिव ने उन्हें इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केवल 10 मिनट का समय दिया और सरकार प्रतिनिधियों के साथ अपनी आंतरिक बैठक कर रही है। शिक्षकों ने दावा किया कि दागी और बेदाग शिक्षकों की सूची तक पहुंच उनका अधिकार है । उन्होंने यह भी कसम खाई कि अगर सोमवार आधी रात तक “बेदाग” नियुक्तियों की सूची प्रकाशित करने पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला तो सभी इनडोर बैठकों का बहिष्कार किया जाएगा।
इस बीच, विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर शिक्षकों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा और कहा कि भाजपा उनके साथ खड़ी है। “आज, एक बार फिर, नबन्ना अभियान के लिए आपका आह्वान अधूरा रह गया…ममता बनर्जी अच्छी तरह जानती हैं कि आपके आंदोलन को धोखे और झूठे वादों से कैसे बिखेरना है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राजनीतिक दल शिक्षकों के हित का इस्तेमाल राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। श्री घोष ने कहा, “राज्य सरकार अपने तरीके से प्रयास कर रही है। हम योग्य शिक्षकों के साथ हैं।”