ऑपरेशन सिंदूर को लेकर देश की राजनीति पहले से ही गर्मा गई
विपक्ष के तेवर को से साफ़ लग रहा है कि मानसून सत्र हंगामेदार रहेगा
CDS के सिंगापुर में दिए गए बयान के बाद ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विस्तार से चर्चा आवश्यक

नई दिल्ली : सरकार ने संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक आयोजित करने की घोषणा की है । संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सरकार संसद में नियमों के तहत ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार है।
इस सत्र में विपक्ष और सरकार के बीच टकराव के संकेत भी तेज हो रहे हैं। जहां सरकार आर्थिक सुधारों और विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है, वहीं विपक्ष सुरक्षा नीति, ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति में जुटा है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर देश की राजनीति पहले से ही गर्मा गई है। विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में शामिल 16 दलों ने केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने की मंशा से मंगलवार को साझा बैठक की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है । विपक्ष का कहना है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान द्वारा सिंगापुर में दिए गए बयान के बाद ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विस्तार से चर्चा आवश्यक हो गई है। विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है, जिसमें विशेष सत्र बुलाने की मांग दोहराई गई है। हालांकि, आम आदमी पार्टी (AAP) इस बैठक में शामिल नहीं हुई, लेकिन जानकारी के मुताबिक पार्टी के तरफ़ से भी प्रधानमंत्री को अलग से पत्र लिखा गया है ।
कांग्रेस, TMC और CPM पहले ही कर चुके हैं मांग
इससे पहले कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) और तृणमूल कांग्रेस ने अलग-अलग पत्रों के माध्यम से प्रधानमंत्री से विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। अब विपक्ष ने सामूहिक दबाव बनाने के लिए रणनीति तेज कर दी है।
इन दलों ने लिया था बैठक में हिस्सा
मंगलवार को हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, राजद, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीएम, सीपीआई, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, आरएसपी, झामुमो (JMM), वीसीके, केरल कांग्रेस, एमडीएमके और सीपीआई (माले) जैसे प्रमुख विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।विपक्ष के तेवर को देखकर ये साफ़ लग रहा है कि मानसून सत्र हंगामेदार रहेगा ।