65 लाख का नाम कटा -लोगो को क्यों नहीं पता ?

EC की अपील पर अपील , SC ने नहीं मानी दलील

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (S I R ) मामले पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग (ईसी) को आदेश दिया कि वह 19 अगस्त तक उन 65 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक करे, जिन्हें वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि ईसी को यह भी बताना होगा कि उन वोटरों के नाम किन कारणों से हटाए गए। मामले की अगली सुनवाई अब 22 अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जन्मभूमि है और मतदाता सूची में पारदर्शिता आवश्यक है। चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने SIR के याचिका कर्ताओं के आरोपों का जवाब देने की शुरुआत करते हुए कहा कि कहा है कि बिहार आज भी डार्क एज में है, ऐसा प्रोजेक्ट करने की कोशिश की गई। बिहार में बाढ़ है, बिहार में गरीबी है, किसी के पास सर्टिफिकेट्स नहीं हैं। माई लॉर्ड .. देश के पहले राष्ट्रपति बिहार से थे। बिहार बौद्धिक लोगों की धरती है।
जस्टिस बागची: हां, बिहार लोकतंत्र की जन्मभूमि भी है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि जिन लोगों के नाम काटे गए हैं उनकी लिस्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही है जिसमें ये लिखा हो कि फलां मर गए हैं, फलां माइग्रेट कर गए हैं ?
कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि आपने सुना ही होगा कि मृत/जीवित को लेकर गंभीर विवाद है। आपके पास ऐसे लोगों की पहचान करने का क्या तंत्र है, जिससे परिवार को पता चल सके कि हमारे सदस्य को सूची में मृतक के रूप में शामिल कर दिया गया है?कोर्ट ने पूछा अगर जिन 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, उनके नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए हैं?

मृतकों, विस्थापितों आदि आ नाम वेबसाइट पर क्यों नहीं डाला जा रहा है? अगर इसे सार्वजनिक कर दिया जाता तो वोटर लिस्ट के बारे में निगेटिव नैरिटीव खत्म हो जाता!
जस्टिस बागची का चुनाव आयोग से सवाल : क्या मतदाता सूची के पुनरीक्षण (SIR) के जरिए EPIC (वोटर कार्ड) रद्द हो जाएगा !! EPIC कार्ड को केवल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 22 के तहत प्रारंभिक जांच करने के बाद ही संभव है ?

चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अभी वोटर लिस्ट से किसी का नाम नहीं हटाया गया है। नई लिस्ट बनने की प्रक्रिया जारी है। नया लिस्ट बनने के बाद ही पुरानी लिस्ट बदलेगी।

कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि यह पहचान और निवास के लिए विधिक रूप से मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ है।कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि पूरा ड्राफ्ट रोल पब्लिश कीजिए जिससे सभी मतदाता अपना नाम देख सकें।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 65 लाख मतदाताओं जिनका नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है उनका नाम जिला निर्वाचन अधिकारी के वेबसाइट पर शेयर किया जाएगा। जिसमें वजह बताया जाएगा कि उनका नाम क्यों काटा गया है।इस की सूचना सभी प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो के द्वारा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में लिखा है कि जिन लोगों का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं है, वो लोग अपनी शिकायत/क्लेम के समय आधार कार्ड की कॉपी जमा कर सकते हैं। यह आदेश केवल उन 65 लाख लोगों के लिए है जिनका नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं आया है।
यह लिस्ट सभी संबंधित BLO के ऑफिस के बाहर, पंचायत भवन और BDO के ऑफ़िस के बाहर लगाई जाएगी। अगली सुनवाई शुक्रवार 22 अगस्त को 2 बजे होगी।

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