क्या मनोज तिवारी को कन्हैया क्या दे पाएंगे चुनौती?

कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को दस उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की है… पार्टी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार और जालंधर से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को मैदान में उतारा है. खास बात यह है कि कन्हैया बीजेपी के मनोज तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ते नजर आएंगे. कन्हैया 37 साल के हैं और उन्होंने जवाहर लाल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन में बतौर प्रेसिडेंट काम किया है. अब वह भोजपुरी एक्टर-सिंगर और मौजूदा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ नॉर्थ ईल्ट दिल्ली से चुनाव लड़ेंगे. 25 मई को इस सीट पर चुनाव होने हैं.

दिल्चस्प बात ये है कि कन्हैया ने पिछला लोकसभा चुनाव बिहार की बेगूसराय सीट से लड़ा था. वहां से हार के बाद इस बार उन्होंने दिल्ली की प्रमुख सीट से कांग्रेस की टिकट क्यों पाई, यह सवाल हर किसी के मन में है. 

मनोज तिवारी के सामने कन्हैया ही क्यों?

1. लोकप्रिय चेहराकन्हैया कुमार दिल्ली में एक लोकप्रिय चेहरा हैं. JNU के अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने कई आंदोलन किए. वे मीडिया में भी लोकप्रिय हैं, यहां भी उन्हें अधिक स्पेस मिलता है. कन्हैया की लोकप्रियता दिल्ली में मनोज तिवार के बराबर ही मनाई जा रही है. 

2. बिहार से ताल्लुकजिस सीट से कन्हैया को टिकट मिला है, वह यूपी से सटी हुई है. इस सीट पर पूर्वी यूपी और बिहार के वोटर्स निर्णायक संख्या में हैं. कुल में से इनका प्रतिशत करीब 28 फीसदी है. मनोज तिवारी बिहारी हैं, इसलिए उनके सामने कांग्रेस ने एक बिहार को ही उतारा है. 

3. मुस्लिम वोटर्स की आबादीनॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत सलीमपुर, बाबरपुर और मुस्तफाबाद विधानसभा सीट आती है. ये मुस्लिम बहुल इलाके हैं. कन्हैया इंडिया गठबंधन के लिबरल फेस माने जाते हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि कन्हैया कुमार को मुस्लिम का एकमुश्त वोट मिल सकता है. 

मनोज तिवारी पूर्वांचली चेहरा बने

उत्तर पूर्वी दिल्ली के डायनेमिक पॉलिटिकल नजरिए में काफी अहम बदलाव नजर आए हैं. 2009 के लोकसभा चुनावों में जेपी अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने पूर्वांचली वोटरों की भूमिका को देखते हुए 2014 में भोजपुरी गायक मनोज तिवारी पर दांव लगाया, जो सफल रहा. 2019 में भी मनोज तिवारी जीतकर सांसद बने. कांग्रेस की दिग्गज नेता व पूर्व सीएम शीला दीक्षित को हराकर दिल्ली की सियासत में बड़ा चेहरे बनकर उभरे तो बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी. पूर्वांचली वोटर्स के बीच मनोज तिवारी ने अपनी मजबूत पकड़ बना रखी है, जिसका नतीजा है कि दिल्ली के 8 में से तीन विधायक उनके क्षेत्र से हैं.

उत्तरी-पूर्वी सीट पर कौन भारी?

कन्हैया कुमार और मनोज तिवारी में जो भी नेता उत्तरी-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण और अनधिकृत कालोनियों को साधने में कामयाब रहेगा, उसके हाथ जीत लगेगीय इस सीट पर जो मतदाता हैं उनमें से अधिकतर लोग उत्तरप्रदेश और बिहार से सटे पूर्वांचल इलाके के हैं और यहां मुसलमान भी बड़ी तादाद में हैं. इन लोगों की चुनावी जीत में अहम भूमिका है. कांग्रेस को भरोसा है कि उसका परंपरागत वोट बैंक मुसलमान, दलित और कम आय समूह उसकी झोली वोटों से भर देगा तो बीजेपी पूर्वांचली और बहुसंख्यक वोटों के सहारे मनोज तिवारी जीत की हैट्रिक लगाना चाहते हैं. देखना है कि किसका पल्ला भारी रहता है?

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