जेपीआंदोलन के त्रिमूर्ति में से एक थे सुशील मोदी , अब नहीं रहे!

जेपीआंदोलन के त्रिमूर्ति में से एक थे सुशील मोदी , अब नहीं रहे!

जेपी आंदोलन के त्रिमूर्ति में से एक थे सुशील मोदी , अब नहीं रहे!

कैंसर वक्त नहीं देता- यह आज भी उतना ही साबित तथ्य है। वरना, बिहार की राजनीति के पुरोधा सुशील कुमार मोदी अपने कैंसर की सूचना देने के 40 दिनों बाद ही रुखसत नहीं हो जाते। बिहार के पूर्व डिप्टी CM सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया है. उन्हें बिहार में भाजपा का भीष्म पितामह माना जाता था. सुशील मोदी भाजपा के संकटमोचक भी थे. जब-जब भाजपा परेशानी में होती थी, सुशील मोदी आगे आकर रास्ता बनाते थे. लालू यादव से लेकर नीतीश कुमार तक को बड़ी ही शालीनता से घेरते थे. नीतीश कुमार से उनकी दोस्ती की भी खूब चर्चा होती थी. यही कारण है उनके निधन पर पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर भाजपा के तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. नीतीश कुमार ने शोक संदेश जारी किया तो तेजस्वी यादव और लालू यादव ने भी शोक जताया है. सुशील मोदी पिछले छह महीनों से कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उनका एम्स में इलाज चल रहा था. 

जेपी आंदोलन के त्रिमूर्ति में से एक थे सुशील मोदी
सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे त्रिमूर्ति के रूप में जाने जाते थे। सुशील मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद युवा नेता के रूप में इनकी पहचान विश्वविद्यालय से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढ़ता ही चला गया।  

सुशील मोदी की शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार ने दोबारा जब भाजपा का साथ छोड़ा था तो अक्सर कहते थे कि सुशील मोदी को डिप्टी सीएम भाजपा बनाई होती तो छोड़कर जाने की नौबत नहीं होती. नीतीश और सुशील मोदी की जोड़ी बिहार में काफी समय तक सरकार में रही और लालू यादव को सत्ता से दूर रखा.

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