बड़ी पार्टियों का खेल बिगाडेंगे निर्दलिय !

बड़ी पार्टियों का खेल बिगाडेंगे निर्दलिय

कई श्रोतो के आधार पर आज हम आपको बताते हैं कि निर्दलिया प्रत्याशियो के मैदान पर आने से कैसा हो सकता है खेल –

लोकसभा चुनाव में उत्तर से दक्षिण तक बागियों ने सियासी दलों की टेंशन बढ़ा दी है. बिहार में पूर्णिया सीट इंडिया ब्लॉक में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के खाते में क्या गई, कांग्रेस के पप्पू यादव निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर आए. राजस्थान की बाड़मेर सीट पर रवींद्र सिंह भाटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)  की टेंशन बढ़ा रहे हैं. कर्नाटक में बीजेपी से बगावत कर केएस ईश्वरप्पा ने भी शिमोगा सीट से ताल ठोक दी है. बागी निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर सियासी दलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं

कब जीते कितने निर्दलीय

साल 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में 20, 1967 में 35, 1971 में 14 निर्दलीय संसद पहुंचे थे. इमरजेंसी के बाद हुए 1977 और 1980 के के चुनाव में नौ-नौ, 1984 में 13, 1989 में 12 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे. 1991 में केवल एक निर्दलीय जीत सका था जो किसी लोकसभा में निर्दलीयों का अब तक का सबसे कम प्रतिनिधित्व भी है. साल 1996 के चुनाव में नौ, 1998 और 1999 में छह-छह, 2004 में पांच, 2009 में नौ निर्दलीय चुनाव जीते थे.

2014 से कैसा है रिकॉर्ड

साल 2014 और 2019 के चुनाव में निर्दलीय सांसदों की संख्या कम रही. 1991 को छोड़ दें तो इन दोनों चुनाव में निर्दलीय सांसदों की  संख्या सबसे कम थी. 2014 में तीन निर्दलीय चुनाव जीतकर संसद पहुंचे तो वहीं 2019 में चार निर्दलीयों को जीत मिली थी. 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती से नवनीत राणा, असम के कोकराझार से नबा कुमार सरानिया, दादरा और नगर हवेली से मोहनभाई सांजीभाई और कर्नाटक के मांड्या से सुमलता अंबरीश बतौर निर्दलीय जीतकर  संसद पहुंचे थे

बिहार में बागी बिगाड़ रहे चुनावी समीकरण, पप्पू पूर्णिया से, हिना सीवान से तो काराकाट में पवन सिंह करेंगे ‘खेला

पप्पू यादव ने पूर्णिया चुनाव के बाद सीवान में हिना शहाब के लिए कैंप करने की बात कही है. सीवान में जिस तरह मुस्लिम शहाबुद्दीन परिवार के साथ है वैसे पूर्णिया में यादव पप्पू के साथ. वैसे भी पूर्णिया में यादव और गंगौता में छत्तीस का आंकड़ा है.पप्पू यादव बनाम आरजेडी की इस लड़ाई से एनडीए के संतोष कुशवाहा को फायदा मिल सकता है. इधर आरा से टिकट की चाह मैं बैठे भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह ने काराकाट में एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी करते नजर आ रहे हैं. आरा से टिकट नहीं मिलने के बाद पावर स्टार ने काराकाट के मैदान में निर्दलीय उतरने का ऐलान किया है. काराकाट से एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. करीब साढ़े तीन लाख सवर्ण वोटर वाले काराकाट में अगर पवन सिंह सवर्णों को साधने में कामयाब होते हैं, इधर कोइरी वोट महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच बंटता है तो उपेंद्र कुशवाहा की राह आसान नहीं होगी

वैसे तो निर्दलीयों के बारे में कहा जाता है कि उनके पास ना झंडा होता है और ना बंदा होता है’ इसलिए उनका ज्यादा प्रभाव नहीं दिखता है. लेकिन बिहार में बागी कई जगहों पर मजबूती से डटे हैं. पूर्णिया, नवादा, सीवान, काराकाट में मुख्य मुकाबले में आ गए हैं.

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