
भारतीय रेल में होने वाले हादसे इशारा करते हैं कि रेलवे इतिहास से सबक़ नहीं लेता है. इसलिए रेलवे में हादसों का इतिहास बार-बार ख़ुद को दोहराता है.
कभी कानपुर रेल हादसा तो कभी आंध्र में हीराखंड एक्सप्रेस दुर्घटना। मुश्किल से दो माह भी नहीं गुजरते और फिर रेल मंञालय हरकत में तो आता है, लेकिन केवल जांच कमेटी गठित करने तक। जब तक जांच रिपोर्ट आती है एक और हादसा सामने आ जाता है। आखिर क्या वजह है कि बार बार रेल हादसे हो रहे हैं । आइए इन हादसों की पड़ताल में जाएं… ट्रैक में फ्रेक्चर का पता लगानेे के लिए नियमित जांच होती है। हर मेन लाइन जो ट्रंक रूट पर है, इन पर अल्ट्रासोनिक वॉल डिटेक्शन होता है। हर महीेने रेलगाड़ियों के चलने से छोटे मोटे जो भी क्रैक आते हैं उनकी जांच की जाती है। माइक्रो लेवल स्तर की खामियों का भी पता चल जाता है। दूसरे रूटों पर यह डेढ़ दो महीने के बाद होता है। ट्रैक की जांच में जब लापरवाही होती है तो कई मासूम याञियों को जान गंवानी पड़ती है।
रेलवे में हर हादसे के बाद मंत्रालय की तरफ़ से कमिश्नर या चीफ़ कमिश्नर ऑफ़ रेलवे सेफ़्टी की जांच का आदेश होता है. रेलवे में जान या माल या दोनों के नुक़सान का जो मामला सीआरएस की जांच के लायक पाया जाता है, उसकी जांच कराई जाती है.
इसका मक़सद रेल हादसों से सबक़ लेना और कार्रवाई करना होता है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को टाला जा सके.
अगर सीआरएस की जांच संभव न हो तो रेलवे में कई बार हादसों या किसी गंभीर घटना की जांच रेलवे के उच्च अधिकारियों की समिति से भी कराई जाती है .
हादसे के बाद सब यही जानने की कोशिस में लगे हैं कि आखिर इतना बड़ा ट्रेन हादसा कैसे हो गया। इस बीच भारतीय रेलवे (Indian Railways) के उस कवच सिस्टम (Kavach System) को लेकर भी बात हो रही है जिसका रेलवे की तरफ से कुछ समय डेमो दिखाया गया था। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कवच सिस्टम क्या है और यह कैसे ट्रेन हादसे को रोकता है।
LATEST – पश्चिम बंगाल के न्यूजलपाईगुड़ी में भीषण रेल हादसा हुआ है। यहाँ सोमवार (17 जून, 2024) रंगपानी स्टेशन के समीप खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन में एक मालगाड़ी पीछे से टकरा गई। इस हादसे में 15 लोगों की मौत और 60 लोगों के घायल होने की सूचना है। मालगाड़ी के लोको पायलट और एक्सप्रेस के गार्ड की मौत भी इस हादसे में हो गई। घटनास्थल पर राहत बचाव का काम चल रहा है। हादसा का प्रारम्भिक कारण सिग्नल का अनदेखा किया जाना बताया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हादसा सुबह 9 बजे हुआ जब सियालदह से अगरतला जाने वाले कंचनजंगा एक्सप्रेस (13174) रंगापानी स्टेशन के नजदीक खड़ी थी। इसी दौरान इसमें पीछे से आ रही एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इसके कारण एक्सप्रेस के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए और भारी रूप से क्षतिग्रस्त हो गए।
हादसे के बाद सब यही जानने की कोशिस में लगे हैं कि आखिर इतना बड़ा ट्रेन हादसा कैसे हो गया। इस बीच भारतीय रेलवे (Indian Railways) के उस कवच सिस्टम (Kavach System) को लेकर भी बात हो रही है जिसका रेलवे की तरफ से कुछ समय डेमो दिखाया गया था। आइए आपको बताते हैं कि आखिर कवच सिस्टम क्या है और यह कैसे ट्रेन हादसे को रोकता है।
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने आरडीएसओ के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. ‘कवच’ स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (Automatic Train Protection) सिस्टम है. रेलवे के अनुसार, कवच टेक्नोलॉजी ट्रेनों की आपस में भिड़ंत को रोकने का काम करती है. इस तकनीक में सिग्नल जंप करने पर ट्रेन खुद ही रुक जाती है.
जांच रिपोर्ट की तस्वीर
सीआरएस रेलवे के ही अधिकारी होते हैं और उन्हें डेप्युटेशन (प्रतिनियुक्ति) पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय में पोस्टिंग दी जाती है. बताया जाता है कि ऐसा सीआरएस की जांच को पक्षपात से बचाने के लिए किया जाता है.
सीआरएस अपनी जांच में घटना स्थल का दौरा करता है और स्थानीय लोगों से बात भी की जाती है. जांच की प्रक्रिया में चश्मदीद, रेलवे कर्मचारी और मीडिया कवरेज को भी ज़रूरत के मुताबिक़ शामिल किया जाता है.
दरअसल, हर हादसे के बाद घटना स्थल पर राहत कार्य को फ़ौरन शुरू करना सबसे ज़रूरी होता है. ऐसे में कई बार क्षतिग्रस्त डिब्बे, पटरी और अन्य चीज़ों को घटना स्थल से हटाना पड़ता है.
इस तरह से घटना स्थल की तस्वीर काफ़ी बदल जाती है और पूरी जानकारी इकट्ठा कर पाना आसान नहीं होता है.
लेकिन किसी हादसे की जांच रिपोर्ट और उस पर हुई कार्रवाई के बारे में जानने की कोशिश की जाए तो इसकी बहुत ही धुंधली जानकारी हमारे सामने होती है.