
राज्यसभा में बुधवार (3 जुलाई, 2024) को सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष से कहा कि मैं दुखी हूं कि संविधान का इतना मजाक और अपमान हो रहा है. यह किताब हाथ में रखने के लिए नहीं जीने के लिए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. उनके भाषण के बीच में ही कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया.
विपक्ष के वॉकआउट पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘माननीय सदस्यगण! अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक, अमर्यादित आचरण. छह दशक बाद शासन तीसरे निरंतर लगातार काल में है. मैंने चर्चा की. मैंने अनुरोध किया. प्रतिपक्ष के नेता को बिना रोक-टोक के बोलने का सुअवसर दिया. आज वो सदन छोड़कर नहीं गए हैं. मर्यादा छोड़कर गए हैं. उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है. भारत के संविधान को पीठ दिखाई है. आज उन्होंने मेरा और आपका अनादर नहीं किया है. उस शपथ का अनादर किया है, जो संविधान के तहत ली है. भारत के संविधान के लिए इससे बड़ी अपमानित बात नहीं हो सकती. ऐसा कैसे हो सकता है.’
उन्होंने विपक्षी सांसदों के वॉकआउट की निंदा की और कहा कि भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि उन्होंने भारतीय संविधान की भावना का अपमान किया, उन्होंने शपथ का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान हाथ में पकड़ने की चीज नहीं है, यह जीवन जीने की पुस्तक है। मुझे उम्मीद है कि वे आत्मचिंतन करेंगे और कर्तव्य के मार्ग पर चलेंगे।