केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन , विपक्ष के संविधान बचाओ नारे की काट बन पाएगा ?

केंद्र सरकार ने इमरजेंसी को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। सरकार ने देश में इमरजेंसी के दिन को अब संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। केंद्र सरकार ने देश में 25 जून 1975 को लगी इमरजेंसी को लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटने वाला दिन बताया है। सरकार का कहना है कि यह दिन उन लोगों के योगदान की याद दिलाएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल का अमानवीय दर्द झेला है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी।

कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि आपातकाल को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का केंद्र सरकार का कदम सुर्खियां बटोरने की कवायद भर है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से 2024 के दौरान देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ लगाया हुआ था. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि चार जून, 2024 का दिन इतिहास में ‘मोदीमुक्ति दिवस’ के रूप में दर्ज होगा.

केंद्रीय गृह मंत्री  ने एलान करते हुए कहा था कि ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने से प्रत्येक भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा की अमर ज्वाला को प्रज्वलित रखने में मदद मिलेगी, जिससे कांग्रेस जैसी “तानाशाही ताकतों” को “उन भयावहताओं को दोहराने” से रोका जा सकेगा. अमित शाह ने अपने एक्स पोस्ट के साथ केंद्र सरकार की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन की प्रति भी पोस्ट की है। गजट में गृह मंत्रालय की तरफ से 11 जुलाई को जारी अधिसूचना का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि जबकि 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, इसके बाद उस समय की सरकार द्वारा सत्ता का घोर दुरुपयोग किया गया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और आत्याचार किए गए।और जबकि, भारत के लोगों को भारत के संविधान और भारत के लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है; इसलिए, भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है और भारत के लोगों को, भविष्य में, किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए पुन: प्रतिबद्ध किया है।

संविधान की कॉपी लेकर राहुल ने किया चुनाव प्रचार
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान को हाथ में लेकर प्रचार किया और लोगों को समझाने की कोशिश की कि बीजेपी अगर दो तिहाई बहुमत से सत्ता में आती है तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को बदल देगी. राहुल ने सांसद रहे अनंत हेगड़े और फैजाबाद (अयोध्या) से सांसद रहे लल्लू सिंह जैसे बीजेपी के कई नेताओं के बयान का जिक्र करते हुए लोगों को अपने पक्ष में लागे की कोशिश की औऱ नतीजों में फायदा भी होता साफ दिखा.

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