‘माओवादियों फंड’ में 50 लाख रुपये दान देने का मिला गुप्त पत्र
न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता :बुर्राबाजार में एक दुकान चलाने वाले एक स्वर्ण आभूषण विक्रेता ने आरोप लगाया है कि उसे एक पत्र मिला है जिसमें उसे माओवादियों के लिए 50 लाख रुपए जमा करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि व्यवसायी ने अपना नाम गुप्त रखा है, पुलिस को बताया कि पत्र मिलने के बाद वह डर गया था और मामले की गहन जांच चाहता था।
अधिकारियों के मुताबिक करीब एक दशक में यह पहली बार है कि शहर के किसी व्यापारी ने माओवादियों से धमकी भरा पत्र मिलने की शिकायत की है, जिसमें उनके फंड की मांग की गई है। पत्र समीर मंडल नामक व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित है जिसमे कहा गया है कि यह धन “हमारे माओवादी फंड” के लिए आवश्यक था।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक “पत्र में व्यवसायी को गुपी कांता बनर्जी उर्फ मुकुल को 50 लाख रुपए जमा करने का निर्देश दिया गया है। यह बंगाली में लिखा गया है और इसमें समीर मंडल के नाम सहित कुछ शब्द बोल्ड में लिखे गए हैं।” “पत्र डाक से भेजा गया था और व्यवसायी को यह 31 मई को मिला। उसने उसी दिन पुलिस से संपर्क किया और उसकी शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गई।”
सूत्रों ने बताया कि पत्र में गुपी कांता का उपनाम बागची लिखा है। लेकिन उपनाम को हाथ से लिखा गया है और उसके ऊपर “बनर्जी” लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि गुपी कांता उत्तर 24-परगना के देगंगा पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में आने वाली हादीपुर कॉलोनी का निवासी है। इसमें कहा गया है कि “गुपी दादा” संगठन के सम्मानित सदस्य हैं और व्यवसायी को उक्त राशि के साथ उनसे संपर्क करना चाहिए। “पोंचाश लोक्खो टका (₹50 लाख)” शब्द बोल्ड में लिखे हैं।
“पत्र के अंत में चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि अगर व्यापारी पुलिस के पास गया तो उसके बचने का कोई रास्ता नहीं होगा। पत्र में कहा गया है कि बंगाल पुलिस में हिम्मत नहीं है और वह उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती,” बताया जा रहा कि पत्र में भेजने वाले का नाम समीर मंडल है और यह 24 मई की तारीख का है।
धमकी भरे पत्र के बारे में खुलासा शनिवार को हुआ, दो दिन पहले सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादियों के वैचारिक प्रमुख सुधाकर उर्फ टेंटू लक्ष्मी नरसिंह चालम को मुठभेड़ के दौरान मार गिराया था।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बंगाल में माओवादी आंदोलन के चरम पर होने के दौरान बंगाल के जंगल महल में माओवादियों द्वारा पैसे की मांग करने वाले पत्र आम बात थी, लेकिन ऐसे पत्रों पर आमतौर पर संगठन का नाम लिखा होता था। लेकिन इसमें किसी ऐसे संगठन या शाखा का जिक्र नहीं है, जो बंगाल में माओवादियों के करीब माना जाता हो।बताया जा रहा है की पुलिस सभी पहलुओं खंगाल रही हैं।