ममता बनर्जी की लिखी किताबों पर मचा बवाल

पश्चिम बंगाल के स्कूलों में ममता बनर्जी की 19 किताबें अनिवार्य क्यों ?
सरकार के इस फैसले से भड़के शिक्षक संगठनों और विपक्षी दल
BJPका इस फैसले पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के स्कूल शिक्षा विभाग के एक आदेश ने सियासी भूचाल ला दिया है।दरअसल विभाग ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को लाइब्रेरी के लिए किताबें खरीदने का निर्देश दिया है, जिसमें 536 किताबों की सूची दी गई है। इस सूची में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लिखी 19 किताबें शामिल हैं। जिसे लेकर शिक्षक संगठनों और विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। इन किताबों की खरीद के लिए स्कूलों को 20.26 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है। सरकार के इस फैसले से भड़के शिक्षक संगठनों और विपक्षी दल का कहना है कि पश्चिम बंगाल के स्कूलों में ममता बनर्जी की 19 किताबें अनिवार्य क्यों ?
बंगाल टीचर्स एंड इंप्लॉइज एसोसिएशन ने इस फैसले को तानाशाही करार दिया। उन्होंने कहा, ‘यह शिक्षा विभाग का तानाशाही भरा कदम है। बंगाल के बच्चे रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी जैसे साहित्यकारों को पढ़ते हैं। उन्हें ममता बनर्जी की किताबें पढ़ने के लिए मजबूर करना गलत है। देश में किसी भी मुख्यमंत्री ने अपने विचार बच्चों पर कभी नहीं थोपे ।
गौरतलब है कि अगर छात्रों को टैगोर, बंकिम चंद्र या ममता बनर्जी में से किसी को पढ़ने की आजादी मिले, तो क्या वे ममता को चुनेंगे ? यह यक्ष प्रश्न लोगो के दिमाग में बैठाया जा रहा है। बंगाल टीचर्स एंड इंप्लॉइज एसोसिएशन के महासचिव स्वपन मंडल ने ममता बनर्जी से मांग की कि अगर यह फैसला उनकी जानकारी के बिना लिया गया है, तो वे शिक्षा विभाग को इन किताबों को वापस लेने का निर्देश दें। वही बीजेपी ने भी इस आदेश को लेकर TMC सरकार पर निशाना साधा। विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकारी स्कूलों में अपनी किताबें बेचकर रॉयल्टी कमाने की फिराक में हैं। उन्होंने कहा, ‘किताबें बिकेंगी तो ममता को रॉयल्टी मिलेगी। यह ब्लैक मनी को व्हाइट करने की साजिश है, जो चुनाव हारने के बाद उनके काम आएगी।’

TMC नेता कुणाल घोष ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा ममता बनर्जी बेहद अनुभवी हैं। उनकी जिंदगी संघर्षों से भरी रही है। अगर लाइब्रेरी में उनकी किताबें रखी जा रही हैं, तो इसमें गलत क्या है?’ उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा, ‘अगर बीजेपी के नेता किताबें लिख सकते हैं, तो वे भी लिखें। उन्हें किसने रोका है?’

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