दो पतियों की पत्नी बनी सुनीता

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
सिरमौर :महाभारत काल की पांचाली ( द्रोपदी )का नाम तो सभी ने सुना होगा लेकिन वर्तमान काल की ‘द्विजाली” से बहुत कम लोग वाकिफ होंगे। जी हां ये ‘द्विजाली”कोई और नहीं हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की सुनीता चौहान है जिसने अपने गांव की पुरानी परम्परा को निर्वाह करने का साहस किया और क्षेत्र के शिलाई के दो भाईयो से विवाह कर वर्षो पुराने रिवाज को ताज़ा कर दिया। अब ये विवाह हर जगह चर्चा में है। दरअसल हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में 2 भाइयों की एक ही लड़की से शादी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है। जानकारी के मुताबिक सिरमौर के शिलाई गांव के प्रदीप नेगी और कपिल नेगी ने साथ लगते कुन्हाट गांव की युवती सुनीता चौहान से शादी की है।
सिरमौर के बुजुर्ग बताते हैं कि यह उनकी सदियों से चली आ रही परंपरा है जिसे बहुपति विवाह कहा जाता है। अब तक इस तरह की शादियां बिना शोर-शराबे के होती थीं इसलिए दूसरी जगहों के लोगों को इनका पता नहीं चल पाता था। लेकिन प्रदीप और कपिल ने करीब 4 हजार मेहमानों की मौजूदगी में धूमधाम से शादी की है। शादी समारोह 3 दिन तक चला। युवक प्रदीप नेगी जल शक्ति विभाग में कार्यरत है। जबकि छोटा भाई कपिल नेगी बहरीन के एक होटल में नौकरी करता है।
क्या बोली दुल्हन सुनीता चौहान?
जानकारों के मुताबिक इस शादी का आयोजन 3 दिनों तक चला. दुल्हन सुनीता चौहान ने कहा कि उसे इस प्राचीन परंपरा के बारे में जानकारी है। उसने इस विवाह का फैसला बिना किसी दबाव में लिया है। वह हमेशा इस रिश्ते का सम्मान करेगी।
दूल्हा बने प्रदीप और कपिल बोले
प्रदीप और छोटे भाई कपिल दोनों भाइयों का कहना है कि उन्होंने अपनी परंपराओं को समाज के सामने निभाया है। ये पूरे परिवार का फैसला था और उन्हें अपने इस फैसले पर गर्व है.

हाटी समाज के बारे में
हाटी समुदाय हिमाचल प्रदेश-उत्तराखंड सीमा पर रहता है। 3 साल पहले ही इस समुदाय को अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया है। इस जनजाति में सदियों से बहुपति प्रथा प्रचलित है। मगर अब इसके मामले काफी कम हो गए थे।
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इस तरह के विवाह अब गुप्त रूप से संपन्न किए जाते हैं और समाज द्वारा स्वीकार किए जाते हैं. आपको बता दें कि लाहौल, किन्नौर और स्पीति जैसे कई पर्वतीय जिलों में ये परंपरा आज भी किसी ना किसी रूप में जिंदा है।
गौरतलब है कि एक मुख्यमंत्री तक ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बहुपति प्रथा पर पीएचडी भी कर चुके हैं. दरअसल हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे यशवंत सिंह परमार ने लखनऊ विश्वविद्यालय से हिमाचल की बहुपति प्रथा पर पीएचडी की थी।