जगदीप धनखड़ का स्वास्थ्य एक दम ठीक है:ममता बनर्जी

नसीहत भरे लहजे में दी चेतावनी कहा ये बंगाल है
दिल्ली और महाराष्ट्र ना समझे बीजेपी


न्यूज़ बॉक्स संवाददाता

कोलकाता : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहली प्रतिक्रिया कि “जगदीप धनखड़ का स्वास्थ्य एक दम ठीक है” .
जगदीप धनखड़ पर कोई भी अन्य प्रतिक्रिया देने से ममता का इंकार- कहा कोई भी बनावटी कारण न बनाए व बताए।इसके अलावा ममता ने नाम लिए बिना पीएम मोदी को दी नसीहत। कहा -अपना घर संभाले, बंगाल की तरफ देखने की जरूरत नहीं, पहलगाम के आतंकियों को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। ममता बनर्जी ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि बंगाल को दिल्ली और महाराष्ट्र ना समझे बीजेपी। इसके अलावा ममता ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए राज्य सरकार की उपलब्धियों को बताया।
ममता बनाम धनखड़
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति बनने से पहले धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त रहे। अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान जगदीप धनखड़ काफी सुर्खियों में रहे। खासकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ उनके विवाद। हालांकि धनखड़ ने अपने इस्तीफे से कुछ समय पहले राजनीतिक सद्भाव की वकालत की थी। धनखड़ और बनर्जी के बीच की तकरार भारतीय राजनीति में राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच सबसे सब ज्यादा चर्चा में रही।

सोशल मीडिया के जरिये खूब झलका दोनों का टकराव
जुलाई 2019 में पदभार ग्रहण करने के बाद से धनखड़ ने राज्य के विभिन्न मामलों पर टिप्पणी करने के लिए, विशेष रूप से सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार पर निशाना साधने के लिए, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल का सक्रिय रूप से उपयोग किया था। धनखड़ और बनर्जी के बीच तनाव सार्वजनिक रूप से तब बढ़ गया जब मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया। धनखड़ ने राज्य सरकार के आचरण की आलोचना करते हुए कई ट्वीट किए। टीएमसी के मुखपत्र जागो बांग्ला के संपादकीय, जिसका शीर्षक “तेर पाबेन” (उन्हें परिणाम भुगतने होंगे) था, ने दर्शाया कि गतिरोध अभी खत्म नहीं हुआ है।
संवैधानिक विवाद
यह तनावपूर्ण रिश्ता नवंबर 2019 में उस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया जब दोनों नेताओं ने आधिकारिक पत्रों का आदान-प्रदान किया। ममता बनर्जी ने राज्यपाल पर अशांति भड़काने और संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। धनखड़ ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें मंत्रियों से “अपमान” और मौखिक हमलों का सामना करना पड़ा है। बनर्जी ने राज्यपाल से प्रेस वार्ता और ट्वीट के माध्यम से स्थिति को “बढ़ाने” के बजाय शांति बनाए रखने में मदद करने का आग्रह किया

प्रशासनिक विरोध का कारण भी बने ?
ममता बनर्जी लंबे समय से धनखड़ को राज्यपाल के पद से हटाने की मांग कर रही थीं। इसके पीछे बनर्जी नियमित प्रशासनिक कार्यों में उनके कारण होने वाली कठिनाइयों का हवाला दे रही थीं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इन कार्रवाइयों का उद्देश्य उनके अधिकार को कमज़ोर करना था। इन तनावों और विवादों के बीच, धनखड़ को 2022 में उपराष्ट्रपति के पद पर पदोन्नत किया गया, जिससे उनका तीन साल का संक्षिप्त राज्यपाल कार्यकाल समाप्त हो गया, जो आमतौर पर पांच साल का होता है।

राजनीतिक व्याख्या और केंद्र सरकार की भूमिका
टीएमसी ने धनखड़ के दिल्ली स्थानांतरण को आंशिक जीत के रूप में देखा, हालांकि कुछ नेताओं का मानना था कि अगले विधानसभा चुनावों तक उन्हें राज्यपाल के पद पर बनाए रखना भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से उपयोगी हो सकता था। केंद्र सरकार, विशेष रूप से गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर बिना किसी पूर्व परामर्श के बनर्जी को धनखड़ के नामांकन के बारे में सूचित किया।

उपराष्ट्रपति पद पर बिना किसी चुनौती के पहुंचे धनखड़
भाजपा और संघ को जानने वालो के मुताबिक धनखड़ उपराष्ट्रपति के रूप में विपक्ष के साथ जुड़े रहे, लेकिन बंगाल सरकार के साथ अनसुलझे मतभेद केंद्र-राज्य संबंधों में एक उदाहरण बने हुए हैं। उनके नामांकन का समर्थन करने या न करने का टीएमसी का फैसला कथित तौर पर 21 जुलाई की वार्षिक शहीद दिवस रैली के बाद ममता बनर्जी की रणनीति पर निर्भर था। अंततः, धनखड़ का नामांकन विपक्ष की किसी कड़ी चुनौती के बिना पारित हो गया।

राज्यपाल की दृश्यता को किया परिभाषित
पश्चिम बंगाल में जगदीप धनखड़ के वर्षों ने भारत के राजनीतिक ढांचे में एक राज्यपाल की दृश्यता और आवाज़ को फिर से परिभाषित किया। एक औपचारिक भूमिका से शासन में एक मुखर भागीदार के रूप में स्थानांतरित किया। ममता बनर्जी के साथ उनका झगड़ा सिर्फ व्यक्तिगत या राजनीतिक नहीं था – यह गहरे संघीय तनाव का प्रतीक बन कर उभरा था ।

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