तंत्र, तमाशा और ताज्जुब

अंध विश्वास में ली मासूम भतीजे की बलि


न्यूज़ बॉक्स संवाददाता

अलवर: राजस्थान के अलवर में “जहां रिश्तों का खून हुआ… एक मासूम 6 साल के बच्चे की सांसें तब छीनी गईं। जब वो खुद नहीं जानता था कि डर किसे कहते हैं…! सुनकर चौक जाएंगे कि यह सब हुआ महज एक शख्स द्वारा अपनी पत्नी को वश में करने के लिए तांत्रिक के झांसे में आ जाने के कारण।

अलवर के खैरतल का मुण्डावर… और यहां जो हुआ, उसने पुलिस को भी हिला कर रख दिया। यहां 6 साल का लोकेश… खेलते-खेलते हमेशा के लिए ख़ामोश हो गया। मामला ब्लाइंड मर्डर का था… कोई सुराग नहीं, कोई गवाह नहीं… पुलिस के पास जो कुछ था वह 6 साल के बच्चे के पिता द्वारा थाने में गुमशुदगी की दर्ज कराई गई रिपोर्ट और उसकी एक तस्वीर… लेकिन फिर जो सामने आया, वो हैरान करने वाला था। क्योकि यह सब हुआ एक तांत्रिक के कहने पर .. सुनिल… खुद को तांत्रिक कहता है, लेकिन असल में वहीं था इस मासूम की मौत का सौदागर।

अब मिलिए असली गुनहगार से… लोकेश का सगा चाचा — मनोज प्रजापत। अपनी ही पत्नी को वश में करने के लिए… इस वहशी ने तांत्रिक से तंन्त्रिक क्रिया करवाया… ढोंगी तंन्त्रिक की तंत्र क्रियाओं के दौरान मांग हुई एक मासूम के खून और कलेजे की…और बस फिर क्या था शनिवार की रात…6 साल के लोकेश की मासूम का गला घोंटकर उसकी आंखें बंद कर दी गईं… तांत्रिक क्रिया को पूरी करने के लिए जुनून इस कदर सवार था कि. इंजेक्शन से मृतक बच्चे का खून निकाला गया.. और उसका शव गाड़ दिया गया, गांव के ही एक सुनसान खंडहरनुमा घर में। लेकिन कहते हैं ना — जुर्म कितना भी छिपाओ, सच सामने आ ही जाता है। CCTV कैमरों ने खेल बिगाड़ दिया… पुलिस तक गुप्त सूचना पहुँची… और शुरू हुआ ऑपरेशन ‘नरबली’! और इसके पीछे की जो वजह। उसे सुनकर पुलिस भी ताज्जुब में रह गई।

तांत्रिक को भी पुलिस का शिकंजा करने की भनक लग चुकी थी वह खानपुर चला गया इसके बाद तांत्रिक को खानपुर अहीर से दबोचा गया… और फिर मनोज से उगलवाया गया वो सच, जिसे सुनकर हर कोई कांप उठा। सामने बात आ गई कि किस तरह.. विश्वास की बलि दी गई… और वजह बना — तंत्र ।मंत्र का ढोंग! वजह जिसने भी सुना वही, ताजुब में रह गया और सोचने लगा कि क्या कोई सगा चाचा, अपने ही भतीजे की बलि दे सकता है, सिर्फ इसलिए कि पत्नी उस पर ध्यान नहीं देती? बहरहाल, 6 साल का मासूम लोकेश अब इस दुनिया में नहीं… लेकिन उसकी कहानी चीख-चीख कर कह रही है कि अंधविश्वास से बड़ा कोई अपराध नहीं।

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