9 सितंबर को होगा चुनाव , ओम माथुर, सतीश पूनिया के नामो की चर्चा

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
नयी दिल्ली:देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख तय हो गई है। 9 सितंबर को चुनाव होगा और उससे पहले एनडीए और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवार की तलाश में जुट गए हैं। सूत्रों के मुताबिक एनडीए इस बार समाजिक समीकरणों को साधते हुए जाट समुदाय या पार्टी के किसी पुराने वफादार चेहरे पर दांव खेल सकता है। वहीं इंडिया गठबंधन भी अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।
चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। एनडीए के सामने नया उम्मीदवार तय करने की चुनौती है। बीजेपी के रणनीतिकारों की बैठकें हो रही हैं। अंदरखाने चर्चा है कि इस बार फिर से जाट समाज को साधने की कोशिश की जा सकती है, खासकर हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जरूरतों को देखते हुए। हालांकि पार्टी के भीतर से किसी अनुभवी, लंबे समय से जुड़े कार्यकर्ता को मौका मिलने की भी संभावना है। फ़िलहाल पार्टी नेतृत्व इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पार्टी ऐसे नाम पर विचार कर रही है जो पार्टी की विचारधारा और संगठन के प्रति समर्पित हो, और समाज के व्यापक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता हो।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ओम माथुर – राजस्थान से वरिष्ठ नेता, संगठन में लंबे समय से सक्रिय रहे और अब राज्यपाल है उनपर भी विचार कर सकती है । सतीश पूनिया – जाट समुदाय से, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष या संघ के करीबी कोई नया चेहरा या हरियाणा या पश्चिमी यूपी से कोई वरिष्ठ सांसद या पूर्व राज्यपाल। इस बीच इंडिया गठबंधन ने भी संकेत दिए हैं कि वे एक साझा उम्मीदवार उतार सकते हैं। कोशिश होगी कि विपक्षी एकता का संदेश दिया जा सके और एक ऐसा चेहरा लाया जाए जिसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिल सके। हालाकि इंडिया गठबंधन ने शुरुआती दौर में ये भी कहा था कि एक स्थापित परंपरा है की संवैधानिक पद के चुनाव और उम्मीदवार को लेकर सत्ता पक्ष विपक्ष के साथ बातचीत करता है – अगर सरकार ऐसा करती है तो विपक्ष अपनी भावना सरकार को बताएगी
जहा तक वोटों के गणित का सवाल है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सदस्य करते हैं। लोकसभा में मौजूदा समय में 542 सदस्य हैं और राज्यसभा में 240 सदस्य, यानी कुल निर्वाचक सदस्य हैं 782। इस आधार पर बहुमत का आंकड़ा 392 है। यानी जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 392 वोटों की जरूरत होगी। एनडीए के पास फिलहाल कुल 427 सांसदों का समर्थन है, जिसमें लोकसभा में 293 सांसद,राज्यसभा में 134 सांसद (जिसमें 10 मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं) विपक्ष (INDIA गठबंधन और अन्य) के पास कुल 355 सांसद हैं, जिसमें लोकसभा में 249 राज्यसभा में 106। इसका साफ मतलब है कि एनडीए का कोई भी उम्मीदवार इस पद के लिए आराम से जीत सकता है, क्योंकि उसके पास बहुमत से कहीं अधिक वोट हैं।
उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग प्रक्रिया कैसी होती है?
1-चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होता है।
2 -मतदान ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम’ से किया जाता है।
3-मतदाता यानी सांसदों को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उन्हें प्राथमिकता क्रम तय करना होता है।
4 -बैलेट पेपर पर उम्मीदवारों की सूची होती है, और सांसद अपनी पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और इसी तरह आगे की प्राथमिकता अंकित करते हैं। यदि किसी को पहले राउंड में आवश्यक वोट नहीं मिलते हैं, तो कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर उसके वोट ट्रांसफर किए जाते हैं, इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक कोई उम्मीदवार बहुमत न हासिल कर ले। आकड़ों के हिसाब से एनडीए के पास फिलहाल बहुमत है, लेकिन विपक्ष भी संदेश देने और नैरेटिव बनाने के लिए उम्मीदवार उतार सकता है। अब देखना ये होगा कि किसके नाम पर मुहर लगती है और क्या उपराष्ट्रपति चुनाव भी आम चुनाव 2024 के बाद का पहला बड़ा राजनीतिक संकेत बनेगा?”