भाजपा की “सिफारिशी कार्यकारिणी”

फजीहत हुई तो प्रदेश अध्यक्ष बोले-ऐसा कभी नहीं होता मैं जांच कराउंगा


न्यूज़ बॉक्स संवाददाता

जयपुर :राजस्थान बीजेपी में एक बार फिर ‘सिफारिशी राजनीति’ सुर्खियों में है। जयपुर शहर बीजेपी की नई कार्यकारिणी लिस्ट ने पार्टी के भीतर भूचाल ला दिया है। वजह — इस लिस्ट में सिर्फ पदाधिकारियों के नाम ही नहीं, बल्कि यह भी लिखा गया कि किस बड़े नेता की सिफारिश पर किसे कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनाया गया है। अब जब सूची वायरल हुई तो ना केवल उसे आधे घंटे के भीतर ही वापस ले लिया गया बल्कि राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष यह भी कह रहे हैं कैसे की जांच करवाई जाएगी।

गौरतलब है कि सुबह-सुबह जयपुर शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने अपनी जंबो कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की जिसमे कुल 34 नाम। लेकिन साथ में एक और ‘तोहफा’… हर नाम के आगे लिखा — किसकी सिफारिश पर ये पद मिला। किस मंत्री, सांसद, विधायक या संघ नेता ने किसे सिफारिश की… सब साफ-साफ। जैसे कोई भर्ती परीक्षा में उत्तर कुंजी लीक हो गई हो। इस लिस्ट को देखकर बीजेपी के कार्यकर्ता भी चोंक गए क्योंकि जिन्होंने सालों पार्टी के लिए पसीना बहाया… उनका नाम तक नहीं। लेकिन जिनका ‘कनेक्शन’ मजबूत… वो सीधे पदाधिकारी बन गए। लिस्ट से फजीहत हुयी तो आधे घंटे के भीतर ही इस सोशल मीडिया से हटा भी लिया गया और अब राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष मदन राठौड़ कह रहे हैं, ऐसा कभी नहीं हुआ है। इसकी जांच करवाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया पर खुद जयपुर शहर भाजपा अध्यक्ष अमित गोयल ने इस लिस्ट को डाला बकरीद में अपनी टीम के नए साथियों को बधाई भी दे डाली। हैरान करने वाला था कि इस लिस्ट में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी राजवर्धन सिंह राठौड़ और कई कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के नाम भी ‘सिफारिशकर्ता’ के रूप में लिखे गए हैं।
पार्टी परंपरा के मुताबिक, किसी भी स्तर की लिस्ट में सिर्फ पदाधिकारी का नाम और पद होता है। ऐसे में सवाल उठे — गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक क्यों किया गया?”

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, मदन राठौड़ के मुताबिक “ये मानवीय भूल है। लिस्ट में जो सिफारिश वाले कॉलम थे, वो पब्लिक करने के लिए नहीं थे। ऐसा कभी नहीं होता। मैं शहर अध्यक्ष से बात करूंगा लेकिन जो भी कह रहे हैं की यह लिस्ट सही और आधिकारिक नहीं थी।

बहरहाल, विरोध बढ़ते ही अमित गोयल ने लिस्ट डिलीट कर दी और सफाई दी — ऑपरेटर की गलती थी। लेकिन यही ‘गलती’ युवा मोर्चा की लिस्ट में भी हो चुकी है… और हर बार जिम्मेदारी कंप्यूटर ऑपरेटर पर डाल दी जाती है। लेकिन अब बड़ा सवाल ये है — क्या राजस्थान बीजेपी वाकई ‘सिफारिशी क्लब’ बन चुकी है? जहां मेहनत नहीं, बल्कि पदाधिकारी बनने की नेता जी की चिट्ठी ही टिकट है । और अगर जयपुर शहर की लिस्ट का ये हाल है… तो आने वाली प्रदेश कार्यकारिणी में भी ‘सिफारिश’ ही सबसे बड़ा संगठन बन जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *