गेस्ट हाउस में गद्दार

मिसाइल की खबर- दुश्मन के दरबार
डीआरडीओ गेस्ट हाउस का मैनेजर निकला पाक जासूस


न्यूज़ बॉक्स संवाददाता

जैसलमेर / जयपुर:जैसलमेर से एक बड़ी खबर है। ये खबर सिर्फ एक गिरफ्तारी की नहीं, बल्कि एक सच्चाई की है कि देश का सबसे बड़ा खतरा हमेशा बॉर्डर पार से नहीं आता, कई बार वो हमारे ही बीच बैठा होता है। खुफिया एजेंसी ने ऐसे ही एक जासूस को गिरफ्तार किया है जिसका नाम है महेंद्र प्रसाद। ओहदे से डीआरडीओ गेस्ट हाउस का मैनेजर – लेकिन काम? पाकिस्तान के लिए जासूसी।

लाल रंग के टी-शर्ट में खुफिया एजेंसी के साथ खड़ा या शख्स है महेंद्र कुमार सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाने वाले जैसलमेर के चांदना फील्ड फायरिंग रेंज में स्थित डीआरडीओ के गेस्ट हाउस का मैनेजर । वही गेस्ट हाउस जहां पर की देशभर के तमाम बड़े वैज्ञानिक आते मिसाइल जो गोला बारूद के परीक्षण की तपते रेगिस्तान में तैयार करते हैं । एसएमएस पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने इसे अपने ट्रैप में लिया चंद रूपों का लालच देकर डीआरडीओ के गेस्ट हाउस में आने वाले वैज्ञानिकों के मूवमेंट और उनकी तैयारी की जानकारी निकलवानी शुरू कर दी। महेंद्र भी व्हाट्सऐप पर सरहद पार मिसाइल टेस्ट की खबर भेजने लगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जैसलमेर में सेवा अधिकारियों और वैज्ञानिकों के मूवमेंट को सरहद पार की खामोशी के बीच वह उन्हें चाय पिलाता, कमरे की चाबी देता – उनकी गैर मौजूदगी में “मास्टर-की” से गेस्ट हाउस के उनके कमरों को खोलकर खंगालने लगा और और देश के रहस्यों को सरहद पार पहुंचाता। जब इसके फोन कॉल को ट्रैक किया गया तो पाकिस्तान से इसके लगातार संपर्क से खुफिया एजेंसी के हत्या चढ़ा दिया। उसके व्हाट्सएप पर सेव था एक नाम -‘चांधन’। लेकिन ये कोई दोस्त नहीं -पाकिस्तान बैठा वो हैंडलर था, जिसे महेंद्र बताता था कि कौन वैज्ञानिक कब आया, क्या टेस्ट हुआ, कौन सा हथियार ट्रायल में है।

सुदेश सातवन, स्पेशल पीपी, ib-CBI के मुताबिक महेंद्र काफी समय से हमारी निगरानी में था, वो डीआरडीओ के चांधन गेस्ट हाउस में मैनेजर था, जहां देश के वैज्ञानिक और अधिकारी मिसाइल परीक्षण के लिए आते थे। इनकी पूरी डिटेल महेंद्र अपने मोबाइल से व्हाट्सऐप पर ‘चांधन’ नाम से सेव पाकिस्तानी हैंडलर को भेज रहा था। पुख्ता सबूत मिलने के बाद हमने उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, 15 अगस्त तक का रिमांड मिला है और अब हम यह जांच रहे हैं कि इसके साथ और कौन था और इसके बदले में कितनी रकम ली गई।”

जैसलमेर की चांधन फायरिंग रेंज वो जगह है जहां मिसाइलें टेस्ट होती हैं। हथियारों की मारक क्षमता परखी जाती है, और जहां डीआरडीओ के वैज्ञानिक, आर्मी अफसर आते-जाते हैं। जाहिर है यहां विजलेंस भी डबल थी। बस,शक के आधार पर महेंद्र को फोन को सर्वलेन्स में लिया गया। बैंक खातों को खंगाला गया।मोबाइल और चैट्स से पुख्ता सबूत मिले हैं कि इसने सामरिक जानकारी पाक हैंडलर को भेजी। यह भी पता चला कि उसे पाकिस्तान के आकाओं की तरफ से कुछ अग्रिम एविडेंस भी मिल गया था। अब उसके इनफार्मेशन शेयर करने के बदले में मिली फाइनेंसियल एक्टिविटी का पता भी इन्वेस्टिगेशन अनुसंधान अधिकारी कर रहे हैं।

विनोद मीणा-जांच अधिकारीके मुताबिक डीआरडीओ के गेस्ट हाउस में चाँदन फायरिंग रेंज में जब ट्रैक किया तो पता लगा चांदन रेंज में, भारत के वैज्ञानिक डीआरडीओ के अधिकारी मिसाइल का परीक्षण करने या जो भी टेक्निकल चीज वहां होती है, उनका परीक्षण करने आते थे, उनका प्रोग्राम महेंद्र कुमार मैनेजर के पास ही मिल जाता था । कौन-कौन से वैज्ञानिक आते हैं सभी के बारे में पाकिस्तानी हैंडलर को महेंद्र भेजता था जो महेंद्र के मोबाइल पर व्हाट्सएप में चंदन नाम से सेव था उसे जानकारी सर्कुलेट कि जा रही थी.. हमने इसे ट्रैक पर लिया हुआ था जब सबूत आ गए प्रॉसीक्यूशन के ओर सफिशिएंट मामला बन गया तो इसे गिरफ्तार कर आज न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने दो दिन का रीमांड दिया है। अब तक की पूछताछ में यह भी साफ हो गया कि लंबे समय से यह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के संपर्क में था।

जासूस महेंद्र कुमार 2008 से डीआरडीओ गेस्ट हाउस में नौकरी करता था। सालों का भरोसा, लेकिन उसकी वफ़ादारी सरहद के उस पार निकली।जब ऑपरेशन सिंदूर के वक्त एजेंसियों का शक पुख्ता हुआ शक हुआ और फिर एक-एक सबूत जुटा लिए गए।

एजेंसियों ने 12 अगस्त को शासकीय गुप्त बात अधिनियम के तहत उसके खिलाफ केस दर्ज किया और आज जयपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश करके 15 अगस्त तक का रिमांड पर ले लिया।। एजेंसियां अब ये खंगाल रही हैं की इस जासूस ने किसके साथ मिलकर यह पूरा खेल खेला, कितनी बार कितनी रकम ली गई और उसके संपर्क में सीमा के इस पार और उस पार और कितने लोग थे।

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