विपक्षी विरोध तोड़ने की रणनीति
देशहित का मुद्दा बनाकर जनसंपर्क तेज़
व्यापारी वर्ग के साथ बीजेपी की हुई बैठक

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
नयी दिल्ली :एक देश, एक चुनाव’ पर बीजेपी ने अब अभियान तेज़ कर दिया है।अगले सत्र में इसको लेकर जेपीसी भी अपनी रिपोर्ट सौप देगी और उसी सत्र में सरकार 129वां संविधान संशोधन बिल लाने की तैयारी कर रही है। लेकिन फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है—दो-तिहाई बहुमत का अभाव। यही वजह है कि बीजेपी अब समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुँच रही है और इस विचार को देशहित का मुद्दा बनाकर विपक्ष के विरोध को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। आज दिल्ली में व्यापारी वर्ग के साथ हुई बड़ी बैठक में पार्टी नेताओं ने इसके आर्थिक फायदे गिनाए।
दिल्ली में बीजेपी ने शनिवार को व्यापारी समाज की बैठक बुलाई। बैठक में पार्टी नेताओं ने कहा कि अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे तो देश को भारी आर्थिक लाभ होगा।चुनावी खर्च में हज़ारों करोड़ की बचत होगी। बार-बार आचार संहिता लगने से विकास कार्यों में जो रुकावट आती है, वह खत्म होगी।बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि इस कदम से जीडीपी में 1 से 1.5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना के रास्ते में राजनीतिक चुनौतियाँ कम नहीं हैं। सरकार संसद के अगले सत्र में 129वां संविधान संशोधन बिल पेश करने जा रही है। इसे पास कराने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत चाहिए, जो बीजेपी और एनडीए के पास इस समय नहीं है। यही वजह है कि बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC को भेजा गया है।विपक्ष का कहना है कि यह प्रस्ताव संविधान की भावना और संघीय ढांचे के खिलाफ है। पंजाब सरकार ने तो साफ शब्दों में इसे राज्यों की स्वायत्तता पर हमला बताया है। हालाकि इसको लेकर बड़ी बाधाएँ क्या हैं?”
• 129वां संविधान संशोधन आवश्यक
• लोकसभा और राज्यसभा में 2/3 बहुमत चाहिए
• JPC को भेजा गया प्रस्ताव
• कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का विरोध

विपक्षी सरकारों ने भी इसे : संविधान की भावना के खिलाफ बताया है। हालाकि बीजेपी समाज के हर वर्ग हर क्लास के बीच इस मुद्दे के पक्ष में अलख जगाकर कर राजनीतिक चुनौतियों को पार करने के प्रयास में है ताकि ये जनता की आवाज़ बन जाए और विपक्षी राज्य सरकारें और संसद में विपक्ष इसका विरोध ना कर सके । बीजेपी विपक्ष के नकारात्मक कैंपेन को पहले ही कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है।पार्टी का दावा है कि 5,000 से ज्यादा निकायों और संगठनों ने राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजकर इस पहल का समर्थन किया है।आज व्यापारी वर्ग से संवाद हुआ, आने वाले दिनों में किसान और युवाओं से भी मुलाकात का जो सिलसिला चल रह है वो और तेज होगा । बीजेपी का कहना है कि यह केवल राजनीतिक सुधार नहीं, बल्कि आर्थिक क्रांति का कदम है। और इन तमाम जन संवाद कार्यक्रम के ज़रिए वो विपक्ष के विरोध को पहले ही निष्प्रभावी कर देगी । ऐसे में साफ है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ अब बीजेपी के लिए सिर्फ एक विचार नहीं बल्कि बड़ा राजनीतिक अभियान बन चुका है। विपक्ष इसे संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बता रहा है, लेकिन बीजेपी समाज के बीच जाकर इसे देशहित का मुद्दा बनाने की कोशिश में है। अब असली सवाल यही है कि—क्या सरकार संसद में 129वां संविधान संशोधन पास करा पाएगी या फिर यह पहल विपक्ष की कड़ी दीवार में अटक जाएगी?