पश्चिम बंगाल में सिटिजनशिप मांगने वाले आवेदनों की बाढ़

SIR को लेकर चुनाव आयोग की भूमिका सजग
EC की नज़र SC के फैसले पर

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
कोलकाता :पश्चिम बंगाल में अचानक नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत सिटिजनशिप मांगने वाले आवेदनों की बाढ़ आ गई है। बीजेपी और मतुआ संगठनों ने एसआईआर से पहले आवेदन के लिए राज्य के कई इलाकों में कैंप लगाए हैं। इस नागरिकता अभियान का चुनाव आयोग के एसआईआर से कनेक्शन भी है। बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न ( एसआईआर ) के विरोध में गैर बीजेपी दलों ने संसद से सड़क तक मोर्चा खोल रखा है। इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है। वोटरों की तहकीकात के लिए चुनाव आयोग एसआईआर की प्रक्रिया पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला अगर आयोग के पक्ष में आया तो पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया शुरू होगी। पश्चिम बंगाल में एसआईआर से पहले सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन की बाढ़ आ गई है। नागरिकता मांगने वाले मतुआ समुदाय के लोग हैं, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश से भारत आए थे।
बिहार में एसआईआर लागू होने के बाद काफी लोगों का नाम काटा है उसके बाद बिहार दौरे पर राहुल गांधी पहुंचे हुए हैं वहां पर मतुआ समुदाय के कुछ लोगों ने राहुल गांधी से मुलाकात की और बंगाल में आने को कहा मतुआ समुदाय के लोगों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में राहुल गांधी आते हैं तो राजनीतिक उनका कुछ भी असर नहीं चलेगा राहुल गांधी के बाप दादा के वजह से ही पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय के लोगों का आज तक नागरिकता नहीं मिल पायी है बंगाल में सिर्फ बीजेपी मोदी की शांतनु ठाकुर का ही नेतृत्व में मतुआ समुदाय के लोगों को यह कार्ड मिल रहा है इसमें सभी समुदाय के लोगों का नाम जोड़ने की बात की जा रही है जो लोग गए हैं कुछ लोग हैं उनके जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
बीजेपी के केंद्रीय मंत्री और विधायकों ने लगाए कैंप
एसआईआर की आहट आते ही पश्चिम बंगाल में सीएए के तहत नागरिकता के लिए लाखों आवेदन आ रहे हैं। बीजेपी और मतुआ संगठनों ने बारासात, बनगांव और दक्षिण 24 परगना में नागरिकता आवेदन बनवाने के लिए अभियान छेड़ रखा है। बीजेपी के विधायक, सांसद और कार्यकर्ता कैंप लगाकर उनकी मदद कर रहे हैं। हारीणघाटा के विधायक असीम सरकार भी कई कैंपों में हिस्सा ले रहे हैं।

मतुआ महासंघ, सनातनी समाज और कई अन्य संगठनों के कैंपों में भी रोजाना सैकड़ों आवेदन भरे जा रहे हैं। ऑल इंडिया मतुआ महासंघ के जनरल सेक्रेटरी महितोष बैद्य ने कहा कि सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट ( CAA ) के तहत सिटिजनशिप के लिए एक करोड़ से ज्यादा आवेदन आ सकते हैं क्योंकि 2002 की वोटर लिस्ट में बहुत से लोगों के नाम नहीं हैं। सीएए कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने की अनुमति देता है। 2002 के एसआईआर के दौरान पश्चिम बंगाल में वोटरों की कुल संख्या 4.58 करोड़ थी और 80,000 पोलिंग बूथ थे। तब गहन जांच के बाद 28 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए।
बता दें कि पिछले दो लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान मतुआ समुदाय के वोटर बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गए। यह समुदाय 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत आया था। ये तभी से भारतीय नागरिकिता की मांग कर रहे हैं। एसआईआर के बीच चल रहे अभियान से पश्चिम बंगाल की राजनीति गरमा गई है। टीएमसी का आरोप है कि चुनाव आयोग एसआईआर के जरिये सीएए लागू कर रहा है, जिसे ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में लागू करने से इनकार कऱ चुकी है।

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