पी एम् के गृह राज्य में क्यों मर रहे है बब्बर शेर?

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
अहमदाबाद:मोदी सरकार एक तरफ नामीबिया से चीतों को लाने के लिए लाखो खर्च कर देश के जंगलो को जंगली जानवरों से समृद्ध करने का प्रयास कर रही है वही प्रधानमंत्री के ग्रह राज्य गुजरात से शेरो की मौत का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राज्य में पिछले दो सालों में कुल 307 एशियाई शेरों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा मौत बीमारी की वजह से हुई है।

राज्य में कुल 307 से 268 शेरों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, जबकि 39 शेरों की मौत दुर्घटनाओं में दर्ज की गई है। विधानसभा में विधायक अमित चावड़ा के सवाल पर सरकार द्वारा दी गई जानकरी के मुताबिक साल 2022 में 55 शेर और 62 शावक मरे। साल 2023 में 58 शेर और 64 शावक मौत का शिकार हुए। 2022 में 7 शेर और 6 शावक तथा 2023 में 14 शेर और 2 शावक दुर्घटनाओं में मारे गए। प्राकृतिक मौतों में बीमारियाँ, आपसी झगड़े और प्राकृतिक आपदाएँ मुख्य वजह रहीं।

शेरों के अलावा गुजरात के जंगलों में तेंदुओं की भी बड़ी संख्या में मौत हो रही है। विधायक शैलेष परमार के सवाल पर सरकार ने बताया कि पिछले दो साल में कुल 456 तेंदुओं की मौत हुई है। इनमें से 201 तेंदुओं और 102 शावकों की प्राकृतिक मौत हुई, जबकि 115 तेंदुए और 38 शावक दुर्घटनाओं में मारे गए। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में 225 और 2024 में 231 तेंदुओं की मौत दर्ज हुई।

वन विभाग के अनुसार, शेरों की अप्राकृतिक मौतों को रोकने के लिए पिछले दो सालो में रिलीफ सेंटर, फायर इक्विपमेंट्स, नावें, सड़क मरम्मत और अन्य सुविधाओं के पीछे कुल 37.35 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जिनका कोई फायदा होता नहीं दिखाई दे रहा है।

गिर और यहां का शेर न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश का गौरव है। एशियाई शेरों को देखने देश-विदेश से पर्यटक बड़ी संख्या में गिर के जंगलों का रुख करते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में शेरों को लेकर कई तरह की गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। यहां तक कि गिर सफारी में शेरों की सही देखरेख और प्रबंधन पर हाईकोर्ट ने भी नाराज़गी जताई है।

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