लैब रिपोर्ट के बाद मंत्री भी बोले कफ सिरप से नही हुई मौत
केंद्र सरकार ने उसी सिरप के फार्मूले पर बैन लगाया

न्यूज़ बॉक्स संवाददाता
जयपुर :“एक तरफ राजस्थान सरकार कह रही है — ‘कफ सिरप से किसी बच्चे की मौत नहीं हुई’… और दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने उसी सिरप के फार्मूले पर बैन लगा दिया है। सवाल उठता है — अगर दवा बेदाग़ है, तो फिर बैन क्यों? और अगर बैन सही है, तो बच्चों की मौतों पर सरकार चुप क्यों? वैसे इसी को लेकर चल रही बहस के बीच आज भरतपुर अस्पताल में 5 और बच्चों के इसी सिरप को पीकर बीमार होने पर भर्ती करवाया गया है।
राजस्थान में बच्चों की मौतों से जुड़ी एक कफ सिरप अब एक बड़े विवाद के केंद्र में है। भरतपुर और सीकर में बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में दी गई खांसी की सिरप ने ही उनके बच्चों की जान ली। लेकिन पहले लैब रिपोर्ट अब प्रदेश के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का बयान इस पूरे मामले को उलझा गया है। जोधपुर के सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने दावा किया कि कफ सिरप से कोई मौत नहीं हुई। जांच में भी ऐसा कुछ सामने नहीं आया। लेकिन उन्होंने लगातार इस सिरप के पीने बीमार होने की खबरों के बाद यह भी कहा कि दूसरी बार फिर कमेटी बनाकर जांच करवा रहे हैं।
गजेंद्र सिंह खींवसर, चिकित्सा मंत्री -हमने कमेटी बनाकर जांच करवाई, ऐसा कुछ सामने नहीं आया… मौतें कफ सिरप की वजह से नहीं हुईं। इस दवा के सैंपल की कर बात जांच हो चुकी है पहले जब कंपनी ने दवा बनाते वक़्त अपनी लैब जांच की।दूसरी हमने इसकी सप्लाई लेते वक्त अपने स्तर पर जांच की और बाकी दो बार इन हादसों के बाद हमने लैब में जांच करवाई थी।कहीं कोई कमी नहीं पाई गई. मैं कहता हूं कि सरकार की इसमें कोई लापरवाही नहीं रही !
लेकिन जैसे ही पत्रकारों ने उनसे केंद्र सरकार द्वारा सिरप के फार्मूले पर लगे बैन का ज़िक्र किया — मंत्री साहब अपने साथ खड़े अधिकारियों की तरफ जानकारी के लिए देखने लगे।अब यहां कहानी दिलचस्प हो जाती है। केंद्र सरकार ने कुछ ही घंटे पहले इस कफ सिरप के फार्मूले को बैन कर दिया। यानी राष्ट्रीय स्तर पर इसे खतरनाक माना गया… लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि इसमें कोई समस्या ही नहीं है।
गजेंद्र सिंह खींवसर, चिकित्सा मंत्री – केंद्र सरकार ने आज ही इस दवाई को बैन किया है. हम देखेंगे की क्या कर सकते हैं अभी हमारी लैब की दूसरी रिपोर्ट भी आने बाकी है. अपनी तरफ से इस दवाई को लेकर जितनी भी स्तर की जांच होगी हम करने के लिए तैयार है।
साफ है की स्वास्थ्य मंत्री ने कफ सिरप वाली कंपनी के बचाव में तमाम तरह की दलीलें दी जा रही है लेकिन हकीकत यह भी है कि नौनिहालों के बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होने की लगातार बढ़ती घटनाओ ने सवालों की धार को और भी तेज कर दिया है कि क्या मौतों की जांच में कुछ छुपाया जा रहा है? या फिर फार्मा कंपनियों को बचाने के लिए पर्दा डाला जा रहा है? इससे भी बड़ा सवाल तो यही है कि अगर सब कुछ ठीक है, तो केंद्र सरकार ने बैन क्यों लगाया? राजस्थान सरकार इसकी सप्लाई क्यों रोक दी है !