दार्जिलिंग में BJP ने लगाई हैट्रिक, गोपाल लामा के जरिये पैठ बनाना चाहती है तृणमूल !
पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग लोकसभा सीट अपनी खूबसूरती और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है . र्वोत्तर भारत का गेटवे माना जाने वाले सिलीगुड़ी शहर दार्जिलिंग लोकसभा संसदीय क्षेत्र में ही स्थित है. सिलीगुड़ी को उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी कहा जाता है. सिलीगुड़ी में उत्तर कन्या राज्य का मिनी सचिवालय भी है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस लोकसभा सीट से बीजेपी इस सीट पर हैट्रिक लगा चुकी है. साल 2009 में जसवंत सिंह, साल 2014 में एसएस अहलूवालिया और साल 2019 में राजू बिष्ट ने इस संसदीय सीट पर जीत हासिल की है . वर्ष 2004 के चुनाव पर नजर डालें, तो यहां से कांग्रेस के दावा नरबुला ने तब जीत हासिल की थी. उन्होंने माकपा के मोनी थापा को हराया था. इस चुनाव में भाजपा तीसरे स्थान पर आयी थी. लेकिन बाद के चुनावों में भाजपा ने अपना दबदबा बढ़ा लिया. 2004 से पहले यहां माकपा मजबूत थी. 1999 में उसके एसपी लेप्चा, 1998 में उसके ही आनंद पाठक जीते थे. 1996 में रतन बहादुर राई जीते. 1991 में कांग्रेस के इंद्रजीत ने चुनाव जीता. 1989 में इंद्रजीत ने ही जीएनएलएफ के लिए चुनाव जीता था.
नेपाली भाषा और अप्रवासी मजदूरों की जमावड़ा
दार्जिलिंग की आबादी आज बड़े पैमाने पर स्वदेशी और आप्रवासी मजदूरों का बड़ा हिस्सा है, हालांकि उनकी आम भाषा, नेपाली भाषा है, जिसे सरकार ने मान्यता दी है. साल 2017 को दार्जिलिंग जिले को विभाजित कर अलग कालिम्पोंग जिला बनाया गया था. यह राज्य का 21वां जिला है. दार्जिलिंग लोकसभा तीन जिलों की विधानसभा सीटों से मिलकर बना है. एक दार्जिलिंग जिला, दूसरा कालिम्पोंग जिला और तीसरा उत्तर दिनाजपुर जिले का चोपड़ा विधानसभा क्षेत्र मिलकर संसदीय सीट बना है.
गोपाल लामा के जरिये पैठ बनाना चाहती है तृणमूल
अब तक दार्जिलिंग की सीट को न जीत सकी तृणमूल कांग्रेस गोपाल लामा के जरिये पहली बार इस पहाड़ी क्षेत्र में अपनी पैठ बनाना चाहती है. गोपाल लामा की बात करें तो वह सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं. 2008-09 में वह सिलीगुड़ी के एसडीओ थे. इसके बाद पर्यटन विभाग में संयुक्त निदेशक पद पर भी वह रहे. आगे चल कर वह जीटीए के पर्यटन विभाग में रहे. शुरुआत में वह भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) में शामिल हुए थे. उनके शामिल होने के बाद मोर्चा के अध्यक्ष तथा जीटीए प्रमुख अनीत थापा ने कहा था कि गोपाल लामा के पास प्रशासनिक अनुभव है. वह गोरखा नहीं हैं, लेकिन दार्जिलिंग के साथ उनका संबंध गहरा है.
अब 2024 में कौन?
अब जबकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को बस कुछ दिन बचे हैं, तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस चुनाव में दार्जिलिंग से सांसद कौन होगा? क्योंकि अभी तक बीजेपी ने अपने प्रत्यशी की घोषणा नहीं की है, और भाजपा का इतिहास भी प्रत्याशियो को हर बार बदलने का जय इस लोकसभा क्षेत्र में, तो अब देखने वाली बात है कि क्या राजू बिस्ट को ही प्रत्यशी बनाया जाएगा या किसी और नाम का ख़ुलासा होगा. 1 से 2 दिन के अंदर या भी स्पास्ट होने की उम्मीद है।
